S-400 देने में देरी क्यों कर रहे 'दोस्त' पुतिन, क्या चीन बन रहा रोड़ा? भारत के पास बचे ये विकल्प

    पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, तब रूस से खरीदे गए S-400 एयर डिफेंस सिस्टम भारत के लिए ढाल बनकर खड़े हो गए.

    Putin delaying S400 delivery China India
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    पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, तब रूस से खरीदे गए S-400 एयर डिफेंस सिस्टम भारत के लिए ढाल बनकर खड़े हो गए. भारत के आकाश डिफेंस नेटवर्क, L-70 गन और S-400 ने मिलकर ज़्यादातर दुश्मन हमलों को हवा में ही रोक दिया. नतीजा ये निकला कि देश में अब एक राय बनने लगी है—भारत को ना सिर्फ और S-400 खरीदने चाहिए, बल्कि अब S-500 सिस्टम की दिशा में भी कदम बढ़ाने चाहिए.

    लेकिन यहीं एक बड़ी अड़चन है—रूस ने अभी तक भारत को S-400 की दो यूनिट्स की डिलीवरी नहीं की है. और ये देरी तब हो रही है जब भारत को इन मिसाइलों की सबसे ज्यादा ज़रूरत है.

    वादे बहुत हुए, पर मिसाइलें नहीं आईं

    2018 में भारत और रूस के बीच 5.43 अरब डॉलर का S-400 सौदा हुआ था. तब इसे भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता की मिसाल माना गया था—खासकर तब जब अमेरिका CAATSA प्रतिबंधों की धमकी दे रहा था.

    समझौते के मुताबिक, 2021 से 2023 तक रूस को पांचों यूनिट्स भारत को सौंपनी थीं. पहले तीन सिस्टम समय पर आए. लेकिन बाकी दो सिस्टम अब तक नहीं आए हैं. और अब जब भारत दुश्मनों से दो मोर्चों पर घिरा है, ये देरी और भी खतरनाक बन गई है.

    क्या रूस अब डिलीवरी में जान-बूझकर देरी कर रहा है?

    1. रूस अपनी ही लड़ाई में फंसा है

    यूक्रेन युद्ध में रूस को भारी नुकसान हुआ है. सैन्य ब्लॉग Oryx के अनुसार, अब तक रूस की 12 से ज्यादा S-400 यूनिट्स पूरी तरह या आंशिक रूप से तबाह हो चुकी हैं. ऐसे में रूस उन यूनिट्स की भरपाई पहले अपने लिए करना चाहता है, भारत के लिए नहीं. पुतिन भले ही कहें कि रूस हथियार उत्पादन में सबसे आगे है, लेकिन अगर भारत अब तक इंतज़ार कर रहा है, तो इसका मतलब है कि उत्पादन हो रहा है, पर भारत को प्राथमिकता नहीं मिल रही.

    2. रूस की डिफेंस इंडस्ट्री खुद चरमरा चुकी है

    SIPRI के डेटा के मुताबिक, 2020–2024 के बीच रूस के हथियार निर्यात में 64% की गिरावट आई है. 2021 के बाद इसका सालाना निर्यात गिरकर सिर्फ 1 अरब डॉलर से भी नीचे आ गया है. कई देशों ने अब रूसी हथियारों पर भरोसा करना बंद कर दिया है. सीरिया, ईरान और यहां तक कि रूस के पारंपरिक ग्राहक भी चीन की ओर मुड़ रहे हैं.

    3. चीन बन गया है रूस की सप्लाई लाइन

    पश्चिमी प्रतिबंधों के चलते रूस को अब माइक्रोचिप्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और ड्रोन पार्ट्स के लिए चीन पर निर्भर रहना पड़ रहा है. यही कारण है कि रूस की S-400 बनाने वाली कंपनी Almaz-Antey ने चीन में एक ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट शुरू किया है—जो असल में ड्यूल यूज़ टेक्नोलॉजी का बैकडोर हो सकता है. भारत पहले ही अपने सिस्टम में चीनी टेक्नोलॉजी हटाने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में रूस की चीन पर बढ़ती निर्भरता नई चिंता का कारण बन रही है.

    4. चीन भारत के खिलाफ रूस पर दबाव बना सकता है

    गलवान की झड़पों के बाद चीन ने भारत-रूस के बढ़ते रिश्तों पर नाराज़गी जताई थी. अब कई एक्सपर्ट मानते हैं कि चीन रूस पर दबाव डाल सकता है कि वह भारत को S-400 की डिलीवरी टालता रहे. खासतौर पर तब जब चीन पाकिस्तान को सैन्य और खुफिया मदद दे रहा हो. अगर रूस इस दबाव के आगे झुक रहा है, तो यह भारत की सुरक्षा रणनीति के लिए खतरे की घंटी है.

    भारत को क्या करना चाहिए?

    भारत को अब साफ़ समझ लेना चाहिए—रूस अब वैसा भरोसेमंद हथियार सप्लायर नहीं रहा जैसा पहले था. और अमेरिका पर भी पूरी तरह निर्भर नहीं रहा जा सकता. ऐसे में एक ही रास्ता बचता है: तेज़ी से स्वदेशी सिस्टम बनाना और आत्मनिर्भर बनना.

    अस्त्र Mk-3, आकाश-NG, और स्वदेशी इंटरसेप्टर मिसाइलें सही दिशा में कदम हैं, लेकिन इन्हें ज्यादा तेज़ी और संसाधनों की ज़रूरत है. भारत को रक्षा उत्पादन में चीन की तरह सोचकर, तेज़ फैसले और बड़े निवेश करने होंगे.

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