इटली में बुर्का और नकाब पर बैन का प्रस्ताव, मेलोनी सरकार ने संसद में पेश किया नया बिल; धार्मिक स्वतंत्रता पर छिड़ी बहस

    Italy Burqa Ban: यूरोप में इस्लामी पहनावे को लेकर बहस फिर से गर्म होती दिख रही है. इटली की सत्ताधारी पार्टी ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ ने संसद में एक ऐसा नया कानून पेश किया है जो सार्वजनिक स्थलों पर बुर्का और नकाब पहनने को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव देता है.

    Proposal to ban burqa and niqab in Italy Meloni government introduced new bill in parliament
    Image Source: Social Media/X

    Italy Burqa Ban: यूरोप में इस्लामी पहनावे को लेकर बहस फिर से गर्म होती दिख रही है. इटली की सत्ताधारी पार्टी ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ ने संसद में एक ऐसा नया कानून पेश किया है जो सार्वजनिक स्थलों पर बुर्का और नकाब पहनने को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव देता है.

    प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की राष्ट्रवादी सरकार इसे धार्मिक कट्टरता और सांस्कृतिक अलगाव के खिलाफ उठाया गया एक “सुरक्षा और सामाजिक समरसता” का कदम बता रही है. वहीं आलोचक इसे धार्मिक आज़ादी और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला मान रहे हैं.

    क्या है प्रस्तावित कानून में?

    नए बिल के मुताबिक, किसी भी सार्वजनिक स्थल, जैसे स्कूल, कॉलेज, दफ्तर, मॉल, बाजार और सरकारी इमारतों में ऐसा कोई भी परिधान पहनना अपराध की श्रेणी में आएगा जो चेहरा ढकता हो.

    इसमें खास तौर पर बुर्का और नकाब का जिक्र किया गया है. अगर कोई इस कानून का उल्लंघन करता है तो उस पर 300 यूरो से लेकर 3,000 यूरो तक (यानी लगभग ₹28,000 से ₹2.8 लाख) का जुर्माना लगाया जा सकता है.

    सरकार की दलील: यह धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं

    सरकार की ओर से सफाई दी गई है कि यह कदम किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि “धार्मिक रूप से प्रेरित कट्टर विचारधाराओं” और “सामाजिक अलगाव” को रोकने के लिए जरूरी है.

    ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी का मानना है कि खुला चेहरा नागरिक जीवन में पारदर्शिता और आपसी विश्वास का प्रतीक है. इसलिए यह कानून सुरक्षा और सामाजिक समरसता को बनाए रखने के लिए अहम है.

    यूरोप में बुर्का बैन की शुरुआत, इटली अब अगली कड़ी?

    यह पहली बार नहीं है जब यूरोपीय देश ने बुर्का या नकाब जैसे पहनावे पर पाबंदी की बात की हो. फ्रांस 2011 में ऐसा करने वाला पहला यूरोपीय देश बना था. इसके बाद बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, और कुछ हद तक तुर्की और ट्यूनिशिया ने भी ऐसे कानून लागू किए.

    यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय (ECHR) ने भी इन पाबंदियों को वैध करार देते हुए कहा है कि राज्य अपने नागरिकों के बीच "एकता और सामाजिक सामंजस्य" के लिए ऐसे कदम उठा सकता है. इटली के कुछ उत्तरी इलाकों, जैसे लोम्बार्डी क्षेत्र में पहले से ही सरकारी दफ्तरों और अस्पतालों में चेहरा ढकने पर रोक लगी हुई है.

    नकाब ही नहीं, धार्मिक फंडिंग पर भी निगरानी

    इस प्रस्तावित बिल का दायरा सिर्फ पहनावे तक सीमित नहीं है. यह कानून उन धार्मिक संगठनों की गतिविधियों पर भी निगरानी की बात करता है जो इटली की सरकार के साथ आधिकारिक समझौते में नहीं हैं.

    ध्यान देने वाली बात यह है कि इस्लाम को इटली में अब तक वैधानिक मान्यता नहीं मिली है, जबकि अन्य 13 धर्मों को यह अधिकार प्राप्त है. नया कानून ऐसे संगठनों को अपने फंडिंग स्रोतों को सार्वजनिक करने के लिए बाध्य करेगा, ताकि संदिग्ध विदेशी फंडिंग और कट्टर विचारधारा के प्रसार को रोका जा सके.

    ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ और धार्मिक दबाव पर भी सख्ती

    बिल में यह भी प्रावधान है कि अगर कोई ‘वर्जिनिटी टेस्ट’ कराता है या धार्मिक दबाव में विवाह कराता है, तो वह कानूनी अपराध की श्रेणी में आएगा. सरकार का कहना है कि यह कानून महिलाओं के सम्मान, स्वतंत्रता और बराबरी को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाया गया है.

    संसद में पारित होने की पूरी संभावना, लेकिन बहस ज़रूरी

    ब्रदर्स ऑफ इटली की अगुआई में सत्ताधारी गठबंधन सरकार के पास संसद में बहुमत है, इसलिए इस बिल के पारित होने की संभावना बेहद प्रबल मानी जा रही है.
    हालांकि सरकार ने अभी तक इस बिल पर बहस की तारीख तय नहीं की है.

    वहीं, नागरिक अधिकार समूहों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस प्रस्ताव को लेकर चिंता जताई है. उनका कहना है कि यह “धार्मिक पहचान के प्रदर्शन पर हमला” है और इससे देश के लाखों मुस्लिमों में असुरक्षा की भावना बढ़ सकती है.

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