पाकिस्तान के कब्जे से आजाद होने वाला है PoK? तालिबान ने भी कर दिया भारत का समर्थन, जानें इसके मायने

    हाल के दिनों में दक्षिण एशिया की राजनीतिक स्थिति में जबरदस्त बदलाव देखने को मिल रहा है. अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव और भारत की कूटनीतिक सक्रियता ने क्षेत्रीय समीकरणों को बदलकर रख दिया है.

    PoK is about to be freed from Pakistans occupation
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: हाल के दिनों में दक्षिण एशिया की राजनीतिक स्थिति में जबरदस्त बदलाव देखने को मिल रहा है. अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव और भारत की कूटनीतिक सक्रियता ने क्षेत्रीय समीकरणों को बदलकर रख दिया है. अफगान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की भारत यात्रा और उनकी टिप्पणियों ने पाकिस्तान को चिंतित कर दिया है. इन घटनाओं के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) अब पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर होने की कगार पर है?

    अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पहली बार भारत की सरजमीं से जम्मू-कश्मीर पर भारत की संप्रभुता का समर्थन किया है. भारत और अफगानिस्तान के संयुक्त बयान में यह संकेत दिए गए हैं कि अफगानिस्तान, जम्मू और कश्मीर को भारत का हिस्सा मानता है. पाकिस्तान के लिए यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि उसने लंबे समय से कश्मीर को एक अंतरराष्ट्रीय विवाद के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है.

    पाकिस्तान की बौखलाहट और प्रतिक्रिया

    अफगान विदेश मंत्री के बयान और भारत के साथ हुए संयुक्त संवाद को पाकिस्तान ने गंभीरता से लिया है. पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में अफगान राजदूत को तलब कर विरोध दर्ज कराया है और कहा है कि यह बयान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के खिलाफ है. हालांकि, अफगानिस्तान ने इस विरोध को तवज्जो नहीं दी और अपने रुख पर कायम रहा.

    भारत-अफगानिस्तान के बीच वाखान कॉरिडोर

    भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अपने अफगान समकक्ष के साथ बातचीत के दौरान वाखान कॉरिडोर का उल्लेख किया, जो भारत और अफगानिस्तान के बीच ऐतिहासिक संपर्क का प्रतीक है. जयशंकर ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान की 106 किलोमीटर की सीमा (जो अब पीओके के कब्जे में है) भारत को अफगानिस्तान का निकटवर्ती पड़ोसी बनाती है. इस बयान से यह संकेत मिलता है कि भारत पीओके को अब न केवल अपने भूभाग के रूप में देखता है, बल्कि इसके रणनीतिक महत्व को भी पुनः रेखांकित कर रहा है.

    अफगानिस्तान का पाकिस्तान को अल्टीमेटम

    नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए अमीर खान मुत्तकी ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया. उन्होंने कहा, "अगर पाकिस्तान को शांतिपूर्ण रिश्ते पसंद नहीं हैं, तो अफगानिस्तान के पास दूसरे विकल्प भी मौजूद हैं." यह बयान सीधा तो नहीं है, लेकिन जानकार इसे पीओके में पाकिस्तान की स्थिति को अस्थिर करने के संकेत के रूप में देख रहे हैं.

    विश्लेषकों का मानना है कि "दूसरे विकल्पों" का मतलब अफगानिस्तान द्वारा पाकिस्तान के भीतर विरोधी गुटों को समर्थन देना हो सकता है, खासकर बलूचिस्तान और पीओके जैसे क्षेत्रों में जहां पहले से ही असंतोष है.

    भारत की पीओके पर स्थिति अब और स्पष्ट

    भारत लंबे समय से पीओके को अपने क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा मानता रहा है, और संसद में इस पर संकल्प पारित किया जा चुका है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट कहा है कि पाकिस्तान के साथ अब बातचीत केवल पीओके और सीमा पार आतंकवाद के मुद्दों पर ही होगी. इससे यह संकेत मिलता है कि भारत अब पीओके को लेकर केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी कार्रवाई की तैयारी में है.

    पीओके में लोगों का असंतोष और विरोध

    पीओके में हाल के वर्षों में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ आवाजें तेज़ हुई हैं. क्षेत्र में राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता बढ़ रही है. बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी ने आम लोगों को सड़कों पर ला दिया है. विरोध प्रदर्शन बढ़े हैं और स्थानीय लोग अब खुलकर पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं. इससे यह साफ है कि पीओके की जनता खुद भी अब बदलाव चाहती है.

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