पाकिस्तान पर एक्शन की हो गई पूरी तैयारी! PM मोदी से वायुसेना के प्रमुख ने की मुलाकात; जानिए क्या हुई बात

    सूत्रों के अनुसार, यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. वायुसेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री को ताज़ा हालात से अवगत कराया और वायुसेना की रणनीतिक तैयारियों की जानकारी दी.

    pm modi meet army chief amar preet singh amid tensions between pakistan and india
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    देश की सुरक्षा स्थिति को लेकर केंद्र सरकार लगातार उच्च स्तरीय समीक्षा बैठकें कर रही है. इसी कड़ी में रविवार को वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नई दिल्ली में भेंट की. इस दौरान दोनों के बीच रक्षा तैयारियों और सुरक्षा हालात पर गंभीर चर्चा हुई. 

    सूत्रों के अनुसार, यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. वायुसेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री को ताज़ा हालात से अवगत कराया और वायुसेना की रणनीतिक तैयारियों की जानकारी दी.

    लगातार हो रही है सैन्य नेतृत्व के साथ उच्च स्तरीय समीक्षा

    इससे पहले शनिवार को नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने भी प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने अरब सागर और हिंद महासागर के रणनीतिक समुद्री मार्गों की सुरक्षा स्थिति पर विस्तृत ब्रीफिंग दी थी. इन बैठकों को देखते हुए यह साफ है कि भारत सरकार हर मोर्चे पर सतर्कता और तैयारी की स्थिति बनाए रखने में जुटी हुई है. रक्षा सेवाओं के प्रमुखों के साथ प्रधानमंत्री की ये मुलाकातें आने वाले दिनों में किसी भी चुनौती से निपटने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही हैं.

    देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को लेकर चल रहे रणनीतिक संवाद के तहत नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके लोक कल्याण मार्ग स्थित आवास पर मुलाकात की. यह बैठक लगभग एक घंटे तक चली, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री को भारतीय नौसेना की वर्तमान ऑपरेशनल तैयारियों और समुद्री क्षेत्र में सक्रियता के बारे में विस्तार से अवगत कराया. यह मुलाकात उस वक्त हुई है जब क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य बेहद संवेदनशील बना हुआ है. समुद्री गतिविधियों और हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति को देखते हुए यह बैठक रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है.