PM Modi in SCO Summit: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2025 की शुरुआत चीन के तियानजिन में हो चुकी है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 31 अगस्त को बहुप्रतीक्षित द्विपक्षीय बैठक हुई. यह मुलाकात सिर्फ भारत और चीन के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति और एशिया की दिशा तय करने के लिए भी अहम मानी जा रही है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिकी टैरिफ नीतियों को लेकर दुनिया के बड़े देश सतर्क हैं.
इस उच्चस्तरीय बैठक के दौरान व्यापार, सीमा विवाद, कूटनीतिक संबंधों और आपसी सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. यहां जानिए इस बैठक की 10 प्रमुख बातें जो भारत-चीन रिश्तों की आगामी दिशा को तय कर सकती हैं:
1. SCO समिट की सराहना और चीन को धन्यवाद
प्रधानमंत्री मोदी ने SCO समिट की मेजबानी के लिए चीन की सराहना की और कहा कि वे इस अवसर के लिए चीन के आभारी हैं. उन्होंने सम्मेलन की सफलता की कामना भी की.
2. फिर से शुरू हुई मानसरोवर यात्रा और सीधी फ्लाइट सेवा
मोदी ने बैठक में बताया कि कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू किया गया है और भारत-चीन के बीच सीधी उड़ान सेवाएं दोबारा चालू करने पर सहमति बनी है.
3. पिछली मुलाकात को बताया सार्थक
पीएम ने कजान में हुई पिछली मुलाकात को याद करते हुए कहा कि वह बातचीत दोनों देशों के रिश्तों को सकारात्मक दिशा में ले गई थी.
4. सीमा पर तनाव में कमी का असर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सीमा पर डिसएंगेजमेंट के बाद अब शांति और स्थिरता का माहौल बना है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की उम्मीद है.
5. 2.8 अरब लोगों के हितों से जुड़ा सहयोग
मोदी ने रेखांकित किया कि भारत-चीन सहयोग सिर्फ दोनों देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे पूरी मानवता के कल्याण की दिशा तय होती है.
6. संबंधों में विश्वास और संवेदनशीलता का ज़िक्र
उन्होंने कहा कि भारत, चीन के साथ आपरस्परिक विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर अपने संबंधों को आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है.
7. शी जिनपिंग का स्वागत भाषण
चीनी राष्ट्रपति ने मोदी से मिलकर खुशी जताई और SCO सम्मेलन में भारत की भागीदारी को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि कजान में हुई पिछली बैठक भी सफल रही थी.
8. सभ्यताओं का संगम और वैश्विक भूमिका
शी जिनपिंग ने कहा कि भारत और चीन दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं और सबसे बड़ी आबादी वाले देश हैं और दोनों की भूमिका ग्लोबल साउथ में अहम है.
9. 'ड्रैगन और हाथी' का एक साथ आना ज़रूरी
चीनी राष्ट्रपति ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत और चीन को अच्छे पड़ोसी और रणनीतिक साझेदार के रूप में काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि “ड्रैगन और हाथी का एक साथ आना ज़रूरी है.”
10. रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की वकालत
उन्होंने कहा कि दोनों देशों को आपसी रिश्तों को रणनीतिक सोच और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखना होगा. साथ ही वैश्विक मंचों पर लोकतंत्र और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को मजबूती देने की जिम्मेदारी साझा करनी होगी.
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