भारत दौरे पर आए फिलीपींस के राष्ट्रपति फेरदिनांद मार्कोस जूनियर ने ताइवान को लेकर ऐसा बयान दिया है जिसने एशिया में कूटनीतिक हलचल बढ़ा दी है. मार्कोस ने स्पष्ट कहा कि अगर चीन और ताइवान के बीच युद्ध छिड़ता है, तो फिलीपींस इससे अलग नहीं रह सकता. उनका तर्क है कि देश की भौगोलिक स्थिति इस संघर्ष से दूरी बनाए रखने की अनुमति ही नहीं देती.
भारतीय मीडिया से बातचीत में राष्ट्रपति मार्कोस ने कहा कि ताइवान का काओहसिउंग इलाका, फिलीपींस के लाओआग से हवाई यात्रा में मात्र 40 मिनट की दूरी पर है. ऐसे में अगर बड़े पैमाने पर युद्ध छिड़ता है, तो फिलीपींस की सीधी भागीदारी तय है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि देश अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में कोई समझौता नहीं करेगा.
मानवीय संकट की चेतावनी
मार्कोस ने बताया कि ताइवान में करीब 1.6 लाख फिलीपींस नागरिक काम करते हैं. किसी भी सैन्य संघर्ष की स्थिति में यह एक बड़े मानवीय संकट का रूप ले सकता है. उन्होंने वादा किया कि जरूरत पड़ने पर अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया जाएगा.
चीन की कड़ी आपत्ति
फिलीपींस के इस रुख पर चीन ने सख्त प्रतिक्रिया दी है. मनीला स्थित चीनी दूतावास ने आधिकारिक विरोध दर्ज कराया, जबकि बीजिंग में विदेश मंत्रालय ने फिलीपींस को ‘एक चीन नीति’ की याद दिलाई. चीन का कहना है कि ताइवान उसका अभिन्न हिस्सा है और इस मामले में किसी भी देश का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
‘आग से खेल रहा है फिलीपींस’
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि फिलीपींस लगातार उकसाने वाले बयान देकर द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचा रहा है. उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के कदम गंभीर परिणाम ला सकते हैं और फिलीपींस को ताइवान मुद्दे पर “आग से खेलने” से बचना चाहिए.
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