भारत को शर्तें माननी ही होंगी...पीटर नवारो हैं की मान नहीं रहे! फिर बोले ट्रंप के सलाहकार

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने एक बार फिर भारत को निशाने पर लिया है. इस बार उन्होंने न सिर्फ भारत की टैरिफ नीतियों पर सवाल उठाए, बल्कि रूस और चीन के संदर्भ में भारत को खुली चेतावनी तक दे डाली.

    Peter navarro remark on india says india needs to accept the conditions of tariff
    Image Source: Social Media

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने एक बार फिर भारत को निशाने पर लिया है. इस बार उन्होंने न सिर्फ भारत की टैरिफ नीतियों पर सवाल उठाए, बल्कि रूस और चीन के संदर्भ में भारत को खुली चेतावनी तक दे डाली.

    नवारो ने भारत पर अमेरिका के मुकाबले दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ लगाने का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत को अमेरिकी व्यापारिक शर्तों को स्वीकार करना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि भारत की मौजूदा नीतियां अमेरिका के लिए नुकसानदायक हैं और इस स्थिति को ज्यादा दिन तक नहीं सहा जा सकता.

    'महाराजा टैरिफ' कहकर भारत पर कसा तंज

    नवारो ने भारत की शुल्क नीति को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “भारत में जो टैरिफ लगाए जाते हैं, वे बेहद ऊंचे हैं. मैं उन्हें ‘महाराजा टैरिफ’ कहता हूं. भारतीय सरकार को भले ही यह सुनना पसंद न हो, लेकिन यही सच्चाई है.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अमेरिका के साथ व्यापार करने वाले अन्य बड़े देशों की तुलना में भारत की शुल्क दरें कहीं अधिक हैं और यह स्थिति अमेरिका के लिए अस्वीकार्य बनती जा रही है.

    रूस से तेल खरीद और व्यापार पर भी सवाल

    नवारो ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को लेकर भी नाराजगी जताई. उन्होंने दावा किया कि यूक्रेन युद्ध से पहले भारत ने रूस से शायद ही कभी तेल खरीदा हो, लेकिन अब बड़े पैमाने पर यह व्यापार हो रहा है. “रूसी कंपनियां भारत में आकर रिफाइनिंग करके मुनाफा कमा रही हैं. इससे भारत के करदाताओं को ज्यादा भुगतान करना पड़ रहा है. यह भारत की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा रहा है,” उन्होंने कहा.

    अमेरिका की शर्तें मानो या चीन-रूस का रास्ता चुनो

    अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए नवारो ने कहा कि अमेरिका के साथ पहले ही कई देशों—जैसे जापान, कोरिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस—ने व्यापारिक समझौते किए हैं और अब भारत को भी उसी रास्ते पर चलना होगा. उनका तर्क था कि ये सभी देश अमेरिका के साथ सहयोग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें यह समझ आ चुका है कि अमेरिकी बाज़ार उनके लिए ज़रूरी है. “भारत को आखिरकार हमारी शर्तें माननी ही होंगी. अगर उसने ऐसा नहीं किया, तो फिर उसे रूस और चीन की तरफ झुकना पड़ेगा, और यह भारत के दीर्घकालिक हित में बिल्कुल नहीं होगा,” नवारो ने कहा.

    ब्रिक्स को भी नहीं बख्शा

    नवारो ने ब्रिक्स देशों के गठबंधन पर भी तीखी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि ब्रिक्स के सदस्य देश अमेरिका पर निर्भर हैं और उनके पास अमेरिकी बाज़ार के बिना जीवित रहने का कोई विकल्प नहीं है. “ये देश जब अमेरिका को अपना सामान बेचते हैं, तो वे शोषक की तरह व्यवहार करते हैं. उनकी अनुचित व्यापार नीतियां अमेरिका को आर्थिक रूप से चोट पहुंचा रही हैं. और जहां तक ब्रिक्स की बात है, यह गठबंधन ज्यादा दिन टिकने वाला नहीं है क्योंकि इन देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से अविश्वास रहा है,” उन्होंने कहा.

    यह भी पढ़ें: पाकिस्तान को सैन्य मदद, भारत पर अमेरिकी टैरिफ का समर्थन... जेलेंस्की दिखाने लगे अपना असली रंग