कीव/नई दिल्ली: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की, जो पिछले कुछ वर्षों से रूस के साथ चल रहे युद्ध के चलते वैश्विक सहानुभूति के केंद्र में रहे हैं, अब भारत को लेकर विवादास्पद रुख अपना चुके हैं. ताज़ा घटनाक्रम में ज़ेलेंस्की ने भारत जैसे देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के विचार का समर्थन करते हुए अमेरिका के संभावित आयात शुल्क को जायज़ ठहराया है. ये वही ज़ेलेंस्की हैं, जिनका देश पिछले कई दशकों से पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करता रहा है, और जिनका भारत के साथ संबंधों का इतिहास भी कई बार कटु रहा है.
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया कि अगर वह दोबारा सत्ता में आते हैं तो रूस से तेल आयात करने वाले देशों पर 25% तक का अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा और इसमें भारत भी शामिल होगा. ऐसे में, ज़ेलेंस्की का यह बयान कि ऐसे देशों पर "जुर्माना" लगाया जाना उचित है, भारत के लिए सीधे-सीधे चेतावनी मानी जा रही है.
ज़ेलेंस्की ने क्या कहा?
ज़ेलेंस्की ने कहा, "रूस से तेल या गैस खरीदना युद्ध को बढ़ावा देना है. जो देश ऐसा कर रहे हैं, उन पर जुर्माना लगना चाहिए."
उन्होंने यह बयान ABC न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में दिया, जिसमें वे रूस की मदद करने वाले देशों पर कठोर प्रतिबंधों की वकालत करते दिखाई दिए.
यूक्रेन और पाकिस्तान: गहराते रक्षा संबंध
भारत के प्रति इस सख्त रुख के बीच ज़ेलेंस्की की सरकार पाकिस्तान को सैन्य मदद देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही. यूक्रेन ने बीते दशकों में पाकिस्तान को अरबों डॉलर के रक्षा उपकरण बेचे हैं.
आंकड़ों के मुताबिक:
इससे स्पष्ट है कि जहां एक ओर ज़ेलेंस्की भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों का समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके देश की रक्षा अर्थव्यवस्था पाकिस्तान पर निर्भर रही है, वो भी एक ऐसे समय में जब पाकिस्तान भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है.
भारत-यूक्रेन रिश्तों का इतिहास
भारत और यूक्रेन के रिश्तों का इतिहास भी विश्वास और सहयोग से कम, और मतभेदों से अधिक भरा रहा है.
कुछ प्रमुख घटनाएं:
इन घटनाओं ने दोनों देशों के बीच राजनयिक दूरी को और बढ़ा दिया, जबकि भारत ने यूक्रेन युद्ध पर तटस्थ रुख अपनाते हुए मानवीय सहायता पहुंचाने का भी प्रयास किया.
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