जिसने खाई शेख हसीना की कुर्सी, क्या वही बनेंगा यूनुस का काल! चुनाव से पहले फिर हुआ एक्टिव

    बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है. ठीक एक साल पहले शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद जो सियासी भूचाल आया था, उसका असर अब भी साफ नजर आता है. इस बार चर्चा में हैं अमेरिका के पूर्व राजदूत पीटर हास, जिनका अचानक बांग्लादेश आना कई नए सवाल खड़े कर रहा है.

    Peter Haas Active in bangladesh again will enter again
    Image Source: Social Media

    बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है. ठीक एक साल पहले शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद जो सियासी भूचाल आया था, उसका असर अब भी साफ नजर आता है. इस बार चर्चा में हैं अमेरिका के पूर्व राजदूत पीटर हास, जिनका अचानक बांग्लादेश आना कई नए सवाल खड़े कर रहा है. ऐसे समय में जब देश में चुनाव को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, पीटर हास की सक्रियता को साधारण घटनाक्रम नहीं माना जा रहा.
    तख्तापलट की सालगिरह और पीटर हास की वापसी

    बांग्लादेशी अख़बार 'प्रथम आलो' की रिपोर्ट बताती है कि पूर्व अमेरिकी राजदूत पीटर हास इस समय कॉक्स बाज़ार के एक होटल में ठहरे हुए हैं. खास बात यह है कि उनका यह दौरा शेख हसीना सरकार के तख्तापलट की सालगिरह के आसपास हो रहा है, जिसे प्रतीकात्मक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है. जुलाई 2024 में उन्हें बांग्लादेश से हटाया गया था, और अब एक साल बाद उनकी वापसी राजनीतिक हलकों में हलचल का कारण बनी है.


    नाहिद इस्लाम से मुलाकात और पुराने समीकरण

    रिपोर्ट के मुताबिक, पीटर हास ने अपनी यात्रा के दौरान नाहिद इस्लाम की पार्टी के शीर्ष 5 नेताओं से गुप्त रूप से मुलाकात की है. यह वही नाहिद इस्लाम हैं जिन्हें बीते साल के राजनीतिक आंदोलन और तख्तापलट का मुख्य चेहरा माना जाता है. उनके समर्थकों का मानना है कि अमेरिका ने पर्दे के पीछे से उन्हें समर्थन दिया था और अब पीटर हास का यह दौरा उसी समर्थन की पुनः पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है. वर्तमान में पीटर हास एक अमेरिकी ऊर्जा कंपनी में वरिष्ठ पद पर हैं, लेकिन ढाका से लेकर वॉशिंगटन तक की राजनीतिक लॉबी में उनका प्रभाव अब भी बरकरार है. इसलिए उनकी गतिविधियों को केवल निजी यात्रा मान लेना बांग्लादेश की राजनीति को समझने में भारी चूक होगी.


    बीएनपी और अंतरिम सरकार की खींचतान

    तख्तापलट के बाद बांग्लादेश ने अस्थायी राजनीतिक संतुलन हासिल करने की कोशिश जरूर की, लेकिन स्थायित्व अभी दूर है. बीएनपी यानी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी फिलहाल सबसे मजबूत स्थिति में बताई जा रही है. वहीं, नाहिद इस्लाम और उनके सहयोगी दबाव में हैं. ऐसे में पीटर हास की यह मुलाकात एक तरह से उनकी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस दिलाने की कोशिश के तौर पर देखी जा रही है.


    चुनाव पर संशय और सुधार की मांग

    शेख हसीना की सत्ता से विदाई के एक साल बाद भी बांग्लादेश चुनाव की तारीखों को लेकर असमंजस में है. बीएनपी का कहना है कि साल के अंत तक आम चुनाव कराए जाएं, जबकि नाहिद इस्लाम और जमात-ए-इस्लामी जैसे दलों की मांग है कि पहले चुनावी प्रणाली में सुधार किए जाएं, फिर चुनाव हो. इसी उद्देश्य से एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया था, लेकिन अब तक उसके दिशा-निर्देश और प्राथमिकताएं स्पष्ट नहीं हो सकी हैं. बांग्लादेश की राजनीति इस वक्त एक नाजुक दौर से गुजर रही है. पीटर हास जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों की मौजूदगी और नाहिद इस्लाम जैसे नेताओं के साथ उनकी बातचीत आने वाले हफ्तों में राजनीतिक समीकरण बदल सकती है. चुनाव, सुधार और अंतरराष्ट्रीय दखल जैसे मुद्दे बांग्लादेश के भविष्य को तय करने में निर्णायक साबित होंगे. अगर यही रफ्तार और रहस्य बना रहा, तो आने वाले समय में बांग्लादेश दक्षिण एशिया की सबसे संवेदनशील राजनीतिक प्रयोगशाला बन सकता है.

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