क्या फिर से दोहराया जाएगा ‘हिरोशिमा’? दुनिया को फिर से तबाही के कगार पर ले जा रहे परमाणु हथियार

    Hiroshima 80th Anniversary: 6 अगस्त 1945 – यह तारीख मानव इतिहास में उस दर्द की गवाही देती है जिसे आज 80 वर्ष बीत जाने के बाद भी पूरी दुनिया महसूस करती है. जापान के हिरोशिमा में वह सुबह आम दिनों जैसी थी, मगर कुछ ही मिनटों में सबकुछ बदल गया.

    Hiroshima 80th Anniversary know dangerous story of nuclear attack
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    Hiroshima 80th Anniversary: 6 अगस्त 1945 – यह तारीख मानव इतिहास में उस दर्द की गवाही देती है जिसे आज 80 वर्ष बीत जाने के बाद भी पूरी दुनिया महसूस करती है. जापान के हिरोशिमा में वह सुबह आम दिनों जैसी थी, मगर कुछ ही मिनटों में सबकुछ बदल गया. अमेरिका द्वारा गिराया गया ‘लिटिल बॉय’ नामक परमाणु बम न केवल एक शहर को खाक कर गया, बल्कि इंसानियत को हमेशा के लिए झकझोर गया.

    आज, जब हिरोशिमा की त्रासदी को आठ दशक पूरे हो चुके हैं, तो सवाल फिर खड़ा हो रहा है. क्या दुनिया फिर उसी विनाश की दहलीज पर खड़ी है? विशेषज्ञों की चेतावनियां और वैश्विक हालात यही संकेत देते हैं कि आज परमाणु युद्ध का खतरा पहले से कहीं अधिक वास्तविक हो चुका है.

    80 साल बाद भी वही डर, वही खतरा

    जहां एक ओर देशों के बीच आपसी तनाव और सैन्य होड़ बढ़ रही है, वहीं परमाणु हथियारों का जखीरा भी लगातार भारी हो रहा है. अब केवल धमकियों में नहीं, बल्कि नीतियों और रणनीतियों में भी इन हथियारों का जिक्र आम हो चला है.
    एक बम, एक शहर तो कई बम...?

    ICAN की रिपोर्ट के अनुसार, एक आधुनिक परमाणु बम अकेले लाखों की जान ले सकता है. यदि 10 या अधिक बम एकसाथ गिरे तो परिणाम केवल मानव क्षति तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पृथ्वी की जलवायु प्रणाली को पूरी तरह बदल कर रख देगा. अनुमान के अनुसार 

    • ग्लोबल वर्षा में लगभग 45% की गिरावट आ सकती है. 
    • धरती का औसत तापमान घटकर -7 से -8 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है, जोकि हिम युग (-5°C) से भी ठंडा होगा.
    • सूर्य की रोशनी 10% भूभाग तक नहीं पहुंचेगी, जिससे कृषि और जीवन दोनों पर गंभीर असर पड़ेगा.
    • परमाणु संयंत्रों पर हमला — सबसे भयानक परिदृश्य
    • एक और गंभीर आशंका यह है कि अगर किसी न्यूक्लियर प्लांट पर हमला होता है तो विनाश का दायरा कई गुना बढ़ जाएगा.
    • ICAR की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि 10 किलोटन क्षमता वाला बम भी किसी संयंत्र पर गिरा तो:
    • रिएक्टर और उसकी इमारतें पूरी तरह तबाह हो जाएंगी.
    • फ्यूल रॉड्स और सीज़ियम-137 जैसी रेडियोधर्मी सामग्री वायुमंडल में फैल जाएगी.
    • हर 10 लाख क्यूरी के रेडिएशन से 2,000 वर्ग किमी का क्षेत्र रहने योग्य नहीं रहेगा.
    • जब दो महाशक्तियों में टकराव हो
    • यदि अमेरिका और रूस जैसे परमाणु हथियारों से लैस देश युद्ध में उलझते हैं, तो केवल 500 बमों के प्रयोग से ही:
    • लगभग 10 करोड़ लोग चंद मिनटों में मारे जा सकते हैं.
    • इसके अलावा, 2 अरब लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे.
    • वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह चरमरा जाएगी — घायलों का इलाज संभव नहीं होगा.

    भारत-पाक युद्ध: क्षेत्रीय संघर्ष, वैश्विक विनाश

    Bulletin of the Atomic Scientists की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच यदि सीमित परमाणु युद्ध होता है, जिसमें लगभग 100 बम (प्रत्येक 15 किलोटन के) शहरी इलाकों पर गिरते हैं, तो 2.7 करोड़ लोगों की तत्काल मौत हो सकती है. पूरे दक्षिण एशिया का वातावरण विषाक्त हो जाएगा. जलवायु और खाद्य आपूर्ति पर ऐसा प्रभाव पड़ेगा, जिसकी भरपाई सदियों तक संभव नहीं होगी.

    क्या समाधान है?

    परमाणु हथियारों का अस्तित्व न केवल रणनीतिक संतुलन का मामला है, बल्कि यह मानव अस्तित्व के लिए स्थायी खतरा भी है. वर्तमान में, वैश्विक शांति की दिशा में वास्तविक प्रगति तभी संभव है जब सभी देश परमाणु हथियारों की संख्या घटाने पर सहमति दें, इनका प्रयोग पूरी तरह निषिद्ध किया जाए, और वैश्विक राजनीतिक संवाद को बढ़ावा दिया जाए.

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