पाक PM की छटपटाहट तो देखिए, आंख बंद करते ही घबराकर उठ जाता है शहबाज; पाकिस्तान में भी नजर आ रहा 'भारत'

    भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव ने अब समुद्री मोर्चे पर भी रफ्तार पकड़ ली है. 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई तल्खी अब अरब सागर तक पहुंच गई है.

    Pakistani Navy claimed detected india p81 aircraft in arabian see video
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    भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव ने अब समुद्री मोर्चे पर भी रफ्तार पकड़ ली है. 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई तल्खी अब अरब सागर तक पहुंच गई है. इसी बीच पाकिस्तान की नौसेना ने दावा किया है कि उसने भारतीय नौसेना के एक P-8I टोही विमान को अपने इलाके में डिटेक्ट किया है.

    भारतीय P-8I विमान की रणनीतिक भूमिका

    भारतीय नौसेना के P-8I ‘नेत्र’ विमान को समुद्री सुरक्षा और दुश्मन की गतिविधियों की निगरानी में बेहद अहम माना जाता है. अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा निर्मित यह विमान न सिर्फ पनडुब्बियों की पहचान करने में सक्षम है, बल्कि लंबी दूरी तक समुद्र में निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने का काम भी करता है.

    इस विमान की कुछ मुख्य क्षमताएं:

    • पनडुब्बियों और युद्धपोतों की पहचान और ट्रैकिंग
    • समुद्र में सतत निगरानी
    • रीयल-टाइम इंटेलिजेंस साझा करना
    • सामरिक हमलों के लिए डेटा जुटाना
    • समुद्री रणनीति में तेजी, दोनों पक्ष सक्रिय

    भारत और पाकिस्तान की नौसेनाएं वर्तमान में अपने-अपने जलक्षेत्र में युद्धाभ्यास और रणनीतिक गतिविधियों में जुटी हुई हैं. भारत ने हाल ही में INS सूरत से सतह से हवा में मार करने वाली मीडियम रेंज मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. वहीं पाकिस्तान की नौसेना भी समुद्री अभ्यास कर रही है. ऐसे में पाकिस्तान की ओर से P-8I की गतिविधियों पर प्रतिक्रिया देना यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच सामरिक सतर्कता और कूटनीतिक तनातनी नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है.
     
    एक संवेदनशील रणनीतिक क्षेत्र

    अरब सागर में भारत, पाकिस्तान, अमेरिका और ईरान जैसे देशों की नौसेनाओं की नियमित उपस्थिति रहती है. यही वजह है कि यहां की किसी भी हलचल को सामान्य मानना कठिन होता है. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं संचारहीनता और पारदर्शिता की कमी के चलते गंभीर तनाव में तब्दील हो सकती हैं. ऐसे हालात में यह ज़रूरी हो जाता है कि क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कूटनीतिक माध्यमों से संवाद को प्राथमिकता दी जाए, ताकि समुद्री सीमाओं पर युद्ध जैसी स्थितियों से बचा जा सके.
     

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