22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले—जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई—ने भारत को एक निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा किया. इस हमले के पीछे पाकिस्तान और उसके प्रशिक्षित आतंकियों का हाथ सामने आने के बाद भारत ने बड़ा फैसला लेते हुए सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को स्थगित कर दिया है. यह फैसला न सिर्फ रणनीतिक तौर पर अहम है, बल्कि पाकिस्तान के लिए एक तरह से ‘पानी के संकट’ का अलार्म बन गया है.
“हम पर पानी का बम लटक रहा है” पाकिस्तानी सांसद की चिंता
पाकिस्तान की संसद में इस फैसले की गूंज तेज़ सुनाई दी. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के वरिष्ठ नेता और सीनेटर सैयद अली जफर ने भारत के इस कदम को “पानी का बम” करार दिया. उन्होंने चेतावनी दी, अगर हमने अभी समाधान नहीं निकाला, तो हम भूखे मर जाएंगे. सिंधु नदी हमारी जीवनरेखा है—हमारी 90% फसलें, 93% सिंचाई और बिजली उत्पादन इसी पर आधारित हैं. सीनेटर जफर के मुताबिक, हर दस में से एक पाकिस्तानी नागरिक इस संकट से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकता है.
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— HW News English (@HWNewsEnglish) May 23, 2025
भारत की नई कूटनीतिक दिशा
भारत ने सिर्फ संधि स्थगित कर दी है, बल्कि एक मजबूत कूटनीतिक मोर्चा भी खोल दिया है. विदेश सचिव मिस्री के अनुसार, भारत संधि की शर्तों को तब तक नहीं मान सकता, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को संरक्षण देता रहेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 के उरी हमले के बाद दिया गया अपना चर्चित बयान दोहराया खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते. भारत ने अब सात अलग-अलग देशों में विशेष प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह बताया जा सके कि पाकिस्तान “पीड़ित” नहीं बल्कि आतंक का संरक्षक है.
पाकिस्तान की अपील और भारत का रुख
पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री इशाक डार सहित कई शीर्ष अधिकारियों ने भारत से आग्रह किया है कि संधि के स्थगन पर पुनर्विचार किया जाए. लेकिन भारत का रुख अब बेहद स्पष्ट है. जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को नहीं छोड़ता, तब तक पानी की यह संधि भी बरकरार नहीं रह सकती. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अब कानूनी रूप से पश्चिमी नदियों पर जलाशयों और जल डायवर्जन प्रोजेक्ट्स की योजना को गति दे सकता है. हालांकि, अल्पकाल में जल प्रवाह को पूरी तरह मोड़ना संभव नहीं है, लेकिन यह कदम पाकिस्तान के लिए एक दीर्घकालिक रणनीतिक दबाव जरूर बन जाएगा.
क्या यह पाकिस्तान के लिए संकट की शुरुआत है?
सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में बनी थी, जिसे अब तक दुनिया की सबसे सफल जल संधियों में गिना जाता रहा है. लेकिन आतंक के खिलाफ भारत की नई आक्रामक नीति और पाकिस्तान की अड़ियल रवैया इस संधि को खतरे की ओर ले जा रहा है. अगर पाकिस्तान आतंकवाद के रास्ते से वापस नहीं लौटता, तो भारत की जल नीति न केवल दक्षिण एशिया की भू-राजनीति को प्रभावित करेगी, बल्कि पाकिस्तान के लिए आर्थिक और कृषि संकट की घड़ी को भी और करीब ला सकती है.
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