Pakistani fighter jets shot down: भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे सैन्य तनावों के बीच अब एक ब्रिटिश कंपनी ने ऐसा खुलासा किया है, जो पाकिस्तान के दावों पर सवाल खड़े करता है. बात हो रही है ब्रिटेन की प्रतिष्ठित डिफेंस टेक्नोलॉजी कंपनी मार्टिन बेकर की, जो दुनियाभर के फाइटर जेट्स के लिए इजेक्शन सीट्स बनाती है. यह वही सीटें हैं जिनकी मदद से पायलट आपात स्थिति में विमान से बाहर निकलकर अपनी जान बचाते हैं.
हाल ही में, जब भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के पांच फाइटर जेट और एक बड़ा विमान मार गिराने का दावा किया, तो हमेशा की तरह पाकिस्तान ने इसका खंडन कर दिया. लेकिन इसी बीच मार्टिन बेकर की सोशल मीडिया पर की गई एक पोस्ट ने चर्चा को नई दिशा दे दी.
गिनती बताती है सच्चाई?
मार्टिन बेकर ने यह जानकारी साझा की कि उनकी बनाई गई सीटों की वजह से अब तक 7,794 पायलटों की जान बचाई जा चुकी है. कंपनी हर बार आंकड़े को अपडेट करती है जब उनकी इजेक्शन सीट से कोई पायलट सफलतापूर्वक बाहर निकलता है. ये आंकड़े अपने आप में यह संकेत देने लगे हैं कि हाल ही में हुए ऑपरेशन में पाकिस्तान को असल में कितना नुकसान हुआ.
जेएफ-17 और एफ-16 में मार्टिन बेकर की तकनीक
पाकिस्तानी वायुसेना जिन फाइटर जेट्स का इस्तेमाल करती है, जैसे JF-17 थंडर और F-16, उनमें मार्टिन बेकर की इजेक्शन सीट्स लगी हुई हैं. यही कारण है कि अगर किसी हादसे में पाकिस्तानी पायलट इजेक्ट होते हैं, तो कंपनी की ओर से आंकड़े में वह जुड़ जाते हैं — लेकिन विमान की दुर्घटना की जानकारी, गोपनीयता कारणों से, सार्वजनिक नहीं की जाती.
मार्टिन बेकर की पोस्ट जो सब कुछ कह गई
16 अप्रैल को कंपनी ने पोस्ट किया कि पाकिस्तान एयरफोर्स का एक Mirage V ROSE फाइटर जेट विहारी के रत्ता टिब्बा इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें सवार दोनों पायलट PRM4 इजेक्शन सीट के जरिए सफलतापूर्वक इजेक्ट हो गए. इसी के साथ उन्होंने यह भी बताया कि अब तक 7,784 जानें उनकी तकनीक से बचाई जा चुकी थीं, यह संख्या अब बढ़ चुकी है.
क्या यह पाकिस्तान के खंडन पर सवाल नहीं उठाता?
जब आधिकारिक रूप से पाकिस्तान यह स्वीकार नहीं करता कि उसके विमान गिरे, लेकिन एक ब्रिटिश रक्षा कंपनी के सार्वजनिक डाटा में उन पायलटों के इजेक्शन की पुष्टि हो रही हो, तो सवाल उठना लाज़िमी है. क्या यह ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सैन्य सफलता का अप्रत्यक्ष प्रमाण हो सकता है?
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