Bihar: SIR के बाद चुनाव आयोग का एक और बड़ा कदम, इन 17 राजनीतिक दलों पर गिरी गाज

    Bihar Chunav 2025: भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की सक्रिय भागीदारी अनिवार्य मानी जाती है. लेकिन जब यही दल लंबे समय तक निष्क्रिय रहते हैं, तो चुनाव आयोग को सख्त कदम उठाना पड़ता है.

    Bihar After SIR Election Commission action taken against these 17 political parties
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    Bihar Chunav 2025: भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की सक्रिय भागीदारी अनिवार्य मानी जाती है. लेकिन जब यही दल लंबे समय तक निष्क्रिय रहते हैं, तो चुनाव आयोग को सख्त कदम उठाना पड़ता है. ऐसा ही कुछ 9 अगस्त 2025 को देखने को मिला, जब भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने 334 पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को अपनी सूची से हटा दिया. ये वे दल हैं जो न तो चुनाव लड़ रहे थे और न ही आयोग को जरूरी सूचनाएं उपलब्ध करा रहे थे.

    इस बड़ी कार्रवाई में बिहार के 17 राजनीतिक दल भी शामिल हैं, जिनमें कई के कार्यालय फर्जी या लापता पाए गए. आयोग ने यह कदम जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत उठाया है, जिसके अंतर्गत दलों को पंजीकरण के समय नाम, पता और पदाधिकारियों की जानकारी देना आवश्यक होता है.

    निष्क्रियता और फर्जी पते बने कार्रवाई की वजह

    जून 2025 में जब चुनाव आयोग ने 345 गैर-मान्यता प्राप्त दलों की जांच शुरू की, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. इनमें से 334 दल न केवल लंबे समय से चुनाव से दूर थे, बल्कि उन्होंने आयोग को अपना अद्यतन पता भी नहीं दिया था. कुछ मामलों में तो पते पर कोई कार्यालय ही मौजूद नहीं था. बिहार की जांच में "भारतीय बैकवार्ड पार्टी", "क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी", "देसी किसान पार्टी" जैसे दलों की मौजूदगी तक नहीं मिली.

    बिहार के इन दलों पर गिरी गाज

    बिहार से जो 17 राजनीतिक दल इस कार्रवाई की चपेट में आए हैं, उनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं:

    पटना की भारतीय बैकवार्ड पार्टी, भारतीय सुराज दल, क्रांतिकारी विकास दल

    गया की देसी किसान पार्टी

    बक्सर की हिमाद्री जनरक्षक समाजवादी विकास पार्टी

    सारण की बिहार जनता पार्टी

    कैमूर की गांधी प्रकाश पार्टी

    भगवानपुर (वैशाली) की नेशनल जनता पार्टी (इंडियन)

    जमुई की व्यावसायी किसान अल्पसंख्यक मोर्चा

    इन सभी दलों का या तो कोई सक्रिय कार्यालय नहीं मिला या फिर उनका पंजीकृत पता फर्जी निकला.

    चुनावी सुधार की दिशा में अहम कदम

    भारत निर्वाचन आयोग का यह फैसला केवल औपचारिक कार्रवाई नहीं, बल्कि चुनावी व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की कोशिश है. आयोग ने बताया कि ये निष्क्रिय दल मतदाता सूची, कर छूट और चुनाव चिह्न जैसी सुविधाओं का अनुचित लाभ उठा रहे थे. इससे कर चोरी और धन शोधन जैसी समस्याएं पैदा हो सकती थीं.

    ECI ने इन दलों को नोटिस भेजकर जवाब देने का अवसर भी दिया, लेकिन जब अधिकांश दल जवाब देने में असफल रहे, तो उनका पंजीकरण रद्द कर दिया गया. अब ये दल जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29B, 29C और आयकर अधिनियम, 1961 के तहत मिलने वाले लाभों से वंचित रहेंगे.

    बिहार की राजनीति पर संभावित असर

    चूंकि ये छोटे दल अक्सर गठबंधनों में बड़ी पार्टियों को लाभ पहुंचाते थे, इसलिए इस फैसले का बिहार की राजनीतिक गणित पर असर पड़ सकता है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इससे लोकतंत्र को मजबूत करने वाले वास्तविक और सक्रिय दलों को अवसर मिलेगा, वहीं कुछ इसे छोटे दलों की आवाज दबाने की कार्रवाई भी मानते हैं. हालांकि, जिन दलों का पंजीकरण रद्द हुआ है, उनके पास 30 दिनों के भीतर अपील करने का अधिकार अभी भी मौजूद है.

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