लड़की का चक्कर बाबू भईया! पाकिस्तानी दूत की ऐसी करतूत, बांग्लादेश से लुंगी लपेटकर भागे; तस्वीरें वायरल

    बांग्लादेश में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहमद मारूफ पर लगे हनी ट्रैप के आरोपों ने दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों में नया विवाद खड़ा कर दिया है.

    Pakistani envoy fled from Bangladesh
    Image Source: Social Media

    ढाकाः जब भारत ऑपरेशन 'सिंदूर' के तहत पाकिस्तान को उसकी हरकतों का करारा जवाब दे रहा था, ठीक उसी वक्त पाकिस्तान के एक शीर्ष राजनयिक की हरकत ने देश को अंतरराष्ट्रीय मंच पर शर्मसार कर दिया. बांग्लादेश में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहमद मारूफ पर लगे हनी ट्रैप के आरोपों ने दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों में नया विवाद खड़ा कर दिया है. बताया जा रहा है कि मारूफ अचानक 11 मई को ढाका छोड़कर दुबई और वहां से सीधे इस्लामाबाद रवाना हो गए — और इसके पीछे की वजहें केवल व्यक्तिगत नहीं, रणनीतिक रूप से भी संवेदनशील मानी जा रही हैं.

    तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल

    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सैयद अहमद मारूफ की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिनमें वे एक महिला के साथ देखे जा सकते हैं. बाद में सामने आया कि यह महिला बांग्लादेश बैंक की एक सीनियर अधिकारी हैं और दोनों के बीच काफी समय से करीबी संबंध थे. इस पूरे घटनाक्रम ने न सिर्फ पाकिस्तान की विदेश सेवा को कठघरे में खड़ा कर दिया है, बल्कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच धीरे-धीरे सुधर रहे रिश्तों पर भी पानी फेर दिया है.

    बांग्लादेशी मीडिया हाउस ‘प्रोथोम एलो’ ने विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि पाकिस्तान उच्चायोग ने 11 मई को आधिकारिक रूप से सूचित किया कि सैयद अहमद मारूफ अब ढाका में कार्यरत नहीं हैं. उनकी जगह उप-उच्चायुक्त मुहम्मद आसिफ कार्यभार संभाल रहे हैं. हालांकि, पाकिस्तानी पक्ष की ओर से इस अचानक हुए तबादले की कोई स्पष्ट वजह सामने नहीं आई है.

    कई सैन्य ठिकानों का दौरा

    खबरों की मानें तो जिस महिला के साथ मारूफ की तस्वीरें वायरल हुईं, उसने खुद अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इन पलों को साझा किया था. हालांकि जैसे ही यह मामला तूल पकड़ने लगा, तस्वीरें और वीडियो डिलीट कर दिए गए. बांग्लादेशी पत्रकार शाहिदुल हसन खोकन का दावा है कि दोनों अक्सर ढाका के एक अपार्टमेंट में मिलते थे, और वहां मारूफ के कुछ और सहयोगी भी मौजूद रहते थे.

    इस मामले में दिलचस्प बात यह है कि जिस समय भारत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दे रहा था, ठीक उसी समय बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच कुछ असामान्य गतिविधियां भी दर्ज की गई थीं. दिप्रिंट की रिपोर्ट में खुफिया सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 23 जनवरी 2025 को पाकिस्तानी सेना और ISI के वरिष्ठ अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल गोपनीय रूप से बांग्लादेश पहुंचा था. इस दौरान उन्होंने कई सैन्य ठिकानों का दौरा किया और जेएफ-17 थंडर फाइटर जेट्स की संभावित खरीद पर चर्चा की.

    इतना ही नहीं, 21 दिसंबर 2024 को पाकिस्तान से एक जहाज चटगांव बंदरगाह पर लाया गया जिसमें 678 सीलबंद कंटेनर थे. इनमें से कुछ कंटेनरों में चीनी, सोडा और आलू जैसे सामान थे ताकि जांच एजेंसियों को गुमराह किया जा सके, जबकि बाकी कंटेनर कथित तौर पर सैन्य सामग्री से जुड़े थे जिन्हें सीधे चटगांव छावनी में भेजा गया. यह कार्रवाई मेजर जनरल मीर मुशफिकुर रहमान की देखरेख में हुई थी.

    पाकिस्तान की विदेश नीति तार-तार

    मारूफ का मामला तब और विवादास्पद बन गया जब सामने आया कि उन्होंने शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद दोनों देशों के संबंधों को सामान्य करने के लिए काफी प्रयास किए थे. उन्होंने बांग्लादेश के कोनों-कोनों में जाकर बैठकें कीं, प्रेस कांफ्रेंस की और सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान का पक्ष रखने की कोशिश की थी. लेकिन अब उनकी छवि एक ऐसे राजनयिक की बन गई है जिसने निजी स्वार्थ के चलते एक गंभीर कूटनीतिक मिशन को विवादों में घसीट दिया.

    महिला की ओर से हालांकि इस रिश्ते को आपसी सहमति पर आधारित बताया गया है और उसने स्पष्ट किया है कि उसने उच्चायुक्त के खिलाफ कोई कानूनी शिकायत दर्ज नहीं की है. लेकिन, जब एक राजनयिक अपने पद की गरिमा से नीचे उतर कर सार्वजनिक जीवन में इस तरह के विवादों में उलझता है, तो इसका असर सिर्फ उसकी छवि तक सीमित नहीं रहता — यह उस देश की साख पर भी सीधा असर डालता है जिसे वह प्रतिनिधित्व कर रहा होता है.

    मारूफ की अचानक विदाई और यह पूरा प्रकरण इस ओर इशारा करता है कि पाकिस्तान की विदेश नीति में सिर्फ रणनीतिक कमज़ोरियां नहीं, बल्कि संस्थागत अनुशासन की भी बड़ी खामियां हैं. जब एक उच्चायुक्त को चुपचाप देश छोड़कर जाना पड़े और उसके पीछे व्यक्तिगत कारणों से लेकर संभावित खुफिया गतिविधियों तक की आशंका हो, तो मामला सिर्फ 'स्कैंडल' का नहीं रह जाता — यह एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा विषय बन जाता है.

    इस बीच, बांग्लादेश ने इस घटना को लेकर कोई सार्वजनिक विरोध दर्ज नहीं कराया है, लेकिन आंतरिक स्तर पर इसकी जांच शुरू हो चुकी है. खोकन जैसे वरिष्ठ पत्रकारों और खुफिया अधिकारियों का मानना है कि इस पूरे घटनाक्रम की गहन समीक्षा होनी चाहिए, क्योंकि यह मामला केवल चरित्रहीनता या व्यक्तिगत संबंधों का नहीं, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक विश्वासघात से जुड़ा है.

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