बलूचिस्तान: पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में एक बार फिर से सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर नाकामी सामने आई है. 11 मार्च को बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) द्वारा जफर एक्सप्रेस को हाईजैक करने की घटना ने न केवल देश की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए, बल्कि सुरक्षाबलों की हिम्मत और हौसले की हकीकत भी उजागर कर दी. इस हमले के बाद, पाकिस्तान सरकार ने सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ाने जैसे कदम तो उठाए, लेकिन अब खुद सुरक्षाकर्मी ड्यूटी पर आने से कतरा रहे हैं.
लेवी फोर्स की बगावत, 18 जवान सस्पेंड
क्वेटा रेलवे डिविजन में तैनात किए गए 18 लेवी कर्मियों ने सुरक्षा ड्यूटी पर जाने से मना कर दिया. इन जवानों को जफर एक्सप्रेस समेत अन्य यात्री ट्रेनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन उन्होंने जान का खतरा बताते हुए ड्यूटी पर जाने से इनकार कर दिया.
इसके जवाब में लेवी फोर्स के डायरेक्टर जनरल ने सभी 18 जवानों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. विभागीय कार्रवाई के आदेश के साथ सस्पेंशन नोटिस भी जारी कर दिया गया है.
बलूच लेवी बनी 'बलि का बकरा'
जफर एक्सप्रेस पर हमले के बाद पाकिस्तान सरकार और ISI की भूमिका पर सवाल उठे. लेकिन जवाबदेही तय करने के बजाय, दोष बलूच लेवी पर मढ़ा जा रहा है. सरकार ने कहा कि लेवी फोर्स आतंकी हमलों को रोकने, चेकपोस्ट की रक्षा करने और सरकारी हथियारों की सुरक्षा में पूरी तरह विफल रही है.
तुरबत इलाके में हाल ही में हुए हमलों में लेवी की दो पोस्ट पर कब्जा किया गया और हाईवे को बंद कर दिया गया. यह घटनाएं सरकार की उस रणनीति पर सवाल उठाती हैं जिसमें स्थानीय फोर्सेज को जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन उन्हें न तो पर्याप्त संसाधन मिले और न ही ठोस समर्थन.
क्या है बलूचिस्तान लेवी फोर्स?
बलूचिस्तान लेवी एक अर्धसैनिक बल है जो राज्य के करीब 90% ग्रामीण क्षेत्र की सुरक्षा के लिए तैनात रहता है. वहीं 10% शहरी क्षेत्र की सुरक्षा का जिम्मा बलूचिस्तान पुलिस के पास है.
लेवी फोर्स में स्थानीय बलूच नागरिक शामिल होते हैं और यह बल पाकिस्तान आर्मी के अधीन नहीं बल्कि प्रांतीय गृह मंत्रालय के नियंत्रण में होता है. इनके साथ-साथ फ्रंटियर कोर (FC) भी सक्रिय भूमिका निभाती है, खासकर आतंकवाद प्रभावित इलाकों में.
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