भारत से मिलेगी रहम की भीख? दुनिया के सामने कटोरा लेकर खड़ा है पाकिस्तान, शहबाज को किस बात का डर? जानिए

    पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत ने जिस तरह सख्त रुख अपनाया है, उससे पाकिस्तान की चिंता बढ़ गई है.

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    भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अब पाकिस्तान की बेचैनी साफ नजर आने लगी है. पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत ने जिस तरह सख्त रुख अपनाया है, उससे पाकिस्तान की चिंता बढ़ गई है. उसे डर है कि भारत किसी भी समय सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक जैसे कदम उठा सकता है. इस आशंका के चलते पाकिस्तान न केवल सख्त बयानों के जरिए अपनी स्थिति मजबूत दिखाने की कोशिश कर रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर समर्थन जुटाने की जद्दोजहद में भी लग गया है.

    रूस से लगाई गुहार, ओमान में मांगी मदद

    भारत के कड़े रुख को देखते हुए पाकिस्तान अब वैश्विक ताकतों की चौखट पर दस्तक दे रहा है. मॉस्को में पाकिस्तान के राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली ने रूसी समाचार एजेंसी TASS को दिए गए इंटरव्यू में रूस से भारत-पाक विवाद में मध्यस्थता की मांग की. उन्होंने कहा कि रूस की भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ अच्छे रिश्ते हैं और वह 1966 के ताशकंद समझौते की तर्ज पर फिर से मध्यस्थता कर सकता है. यह बयान पाकिस्तान की हताशा और दबाव को उजागर करता है.

    रूस की संयम की अपील

    रूस ने इस मामले में सक्रियता दिखाते हुए भारत से भी बातचीत की. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से फोन पर चर्चा की और 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणापत्र का हवाला देते हुए दोनों देशों से तनाव कम करने की अपील की. इन ऐतिहासिक समझौतों में यह साफ किया गया है कि भारत और पाकिस्तान अपने विवादों का हल किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के बिना, आपसी बातचीत से ही निकालेंगे. लावरोव ने संयम बरतने और क्षेत्र में शांति बनाए रखने की सलाह दी.

    खाड़ी देशों से समर्थन की तलाश

    तनाव के इस माहौल में पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी 3 मई को ओमान पहुंचे, जहां उन्होंने शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की. पाकिस्तानी गृह मंत्रालय के मुताबिक, इस दौरान उन्होंने क्षेत्रीय हालात को लेकर पाकिस्तान का पक्ष रखा और ड्रग्स व मानव तस्करी के खिलाफ सहयोग पर भी चर्चा की. लेकिन, यह दौरा भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और पाकिस्तान की गिरती साख के बीच, अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

    गौर करने वाली बात यह है कि इस्लामिक होने के बावजूद खाड़ी के अधिकतर मुस्लिम देश आज भारत के साथ खड़े नजर आते हैं, और पाकिस्तान कूटनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ता जा रहा है. नकवी की यात्रा के बाद मंत्रालय ने संकेत दिए कि वह अन्य खाड़ी देशों का भी दौरा करेंगे, हालांकि उनके नाम अभी सामने नहीं आए हैं.

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