पाकिस्तान को लग चुकी हार की आदत! फिर चला चीन से फेल हथियार खरीदने; KJ-500 पर हो सकती डील

    ऑपरेशन सिंदूर में मिली करारी शिकस्त के बाद पाकिस्तान अपनी वायुसेना को तकनीकी रूप से और सशक्त बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है. अब उसका अगला दांव है. चीन से KJ-500 AEW&C सिस्टम की खरीद.

    Pakistan Will buy kj500 from china after operation sindoor
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    ऑपरेशन सिंदूर में मिली करारी शिकस्त के बाद पाकिस्तान अपनी वायुसेना को तकनीकी रूप से और सशक्त बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है. अब उसका अगला दांव है. चीन से KJ-500 AEW&C सिस्टम की खरीद. यह कदम न केवल भारत के लिए नई चुनौती बन सकता है, बल्कि उपमहाद्वीप के सामरिक संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है.

    क्या है KJ-500 और क्यों है यह इतना महत्वपूर्ण?

    KJ-500, चीन द्वारा विकसित एक एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) प्लेटफॉर्म है, जो कि शांक्सी Y-9 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट पर आधारित है. इसकी सबसे बड़ी ताकत है इसमें लगे तीन AESA (Active Electronically Scanned Array) रडार, जो 360 डिग्री कवरेज के साथ सैकड़ों किलोमीटर दूर तक हवाई गतिविधियों की पहचान और ट्रैकिंग कर सकते हैं.

    यह प्रणाली पारंपरिक AEW&C प्लेटफॉर्म से कहीं ज्यादा तेज और सटीक डेटा प्रदान करती है. यह लगभग 470 किलोमीटर की दूरी से भी फाइटर जेट्स को ट्रैक करने में सक्षम है. KJ-500 की अवधारण क्षमता लगभग 12 घंटे की है, और यह एक बार में 5,700 किमी तक उड़ान भर सकता है. इसमें रियल-टाइम डेटा प्रोसेसिंग और कमांड कंट्रोल की क्षमता है, जो युद्ध के मैदान में इसे फोर्स मल्टीप्लायर बनाता है.

    चीन बना पाकिस्तान का रणनीतिक टेक पार्टनर

    इस सौदे के जरिए यह साफ हो गया है कि बीजिंग अब पाकिस्तान की अगली पीढ़ी की 'किल चेन' प्रणाली का मुख्य रणनीतिक सहयोगी बन चुका है. KJ-500 जैसे उन्नत सिस्टम के साथ पाकिस्तान न केवल भारतीय हवाई गतिविधियों को पहले से ट्रैक कर पाएगा, बल्कि इससे उसकी रक्षात्मक और आक्रामक दोनों क्षमताएं भी मजबूत होंगी. एक रक्षा विश्लेषक के मुताबिक, अगर लाहौर के पास कोई KJ-500 उड़ रहा हो, तो वह नई दिल्ली तक भारतीय वायुसेना की गतिविधियों को ट्रैक कर सकता है. यह भारत की प्रतिक्रिया क्षमताओं को समय के मामले में कमजोर बना सकता है.

    भारतीय वायुसेना के सामने नई चुनौती

    KJ-500 की तैनाती के बाद भारतीय वायुसेना को ज्यादा परिष्कृत और जटिल इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर वातावरण का सामना करना पड़ेगा. यह सिस्टम पाकिस्तान को बेहतर सतर्कता, कमांड नेटवर्किंग और लक्ष्य निर्धारण में नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है. भारत को अब अपनी AEW&C प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेज़र्स और साइबर-डिफेंस नेटवर्क को और सशक्त करने की दिशा में गंभीरता से प्रयास करने होंगे, ताकि इस तकनीकी असंतुलन का जवाब दिया जा सके.

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