खुल गई पाक आर्मी की पोल! तैयारी का कर रहा झूठा प्रचार; खाली पड़े हैं शस्त्रागार

    सबसे बड़ी समस्या पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था है. उसका सैन्य बजट महज 7.6 अरब डॉलर है, जो भारत के मुकाबले नगण्य है. विशेषज्ञों का कहना है कि एलओसी पर जबरन सैन्य तैनाती पाकिस्तान को प्रतिदिन 15-30 लाख डॉलर का नुकसान पहुँचा रही है. विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है.

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    Image Source: Social Media

    जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में आतंकी हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान की घिनौनी रणनीति को उजागर कर दिया है. जहाँ भारत ने इस नृशंस घटना के बाद सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर मजबूत प्रतिक्रिया दी, वहीं पाकिस्तान अपनी पुरानी आदत के अनुसार झूठे प्रचार, परमाणु धमकियों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुहार लगाने में व्यस्त है. लेकिन इस बार पाकिस्तान की हालत पहले से ज्यादा खराब है – आर्थिक संकट, सैन्य कमजोरी और अंदरूनी असंतोष उसे हर मोर्चे पर फेल होने पर मजबूर कर रहे हैं.

    पाकिस्तानी प्रोपेगैंडा मशीन की पोल खुली

    पाकिस्तानी सेना और सरकार ने पाहलगाम हमले के बाद खुद को मजबूत दिखाने के लिए झूठे दावों और पुराने वीडियो का सहारा लिया. हाल ही में, पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर का एक वीडियो जारी किया गया, जिसमें उन्हें एलओसी पर फ्रंटलाइन का निरीक्षण करते दिखाया गया. लेकिन सच्चाई यह है कि यह वीडियो 2022 का पुराना फुटेज था, जिसे सोशल मीडिया पर उजागर कर दिया गया. भारत के रक्षा मंत्रालय ने इसे "निराशाजनक दुष्प्रचार" बताते हुए खारिज कर दिया.

    इससे भी बदतर, पाकिस्तान एयरफोर्स ने एक प्रचार वीडियो जारी किया, जिसमें रूस के S-400 मिसाइल सिस्टम, SpaceX के Falcon 9 रॉकेट और यहाँ तक कि 'Call of Duty' जैसे वीडियो गेम के दृश्य शामिल थे! जाहिर है, इनमें से कोई भी चीज पाकिस्तान के पास नहीं है. इस मजाकिया प्रयास को सोशल मीडिया पर भारी आलोचना झेलनी पड़ी और पाकिस्तानी अधिकारियों को कमेंट्स सेक्शन बंद करना पड़ा.

    परमाणु धमकियों से लेकर मध्यस्थता की गुहार तक – पाकिस्तान की उलझी हुई रणनीति

    पाकिस्तान की सरकार और सेना के बीच तालमेल की कमी साफ दिख रही है. एक तरफ पाकिस्तान के वरिष्ठ मंत्री परमाणु हमले की धमकियाँ दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तटस्थ जांच की मांग कर रहे हैं. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि अगर पाकिस्तान के अस्तित्व पर खतरा हुआ तो वे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं. रेल मंत्री हनीफ अब्बासी ने जल विवाद को लेकर भी परमाणु विकल्प की बात कही. गृह मंत्रालय ने अमेरिका, ब्रिटेन और यूएन से भारत के खिलाफ हस्तक्षेप की गुहार लगाई. लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान की इन कोशिशों को नजरअंदाज कर दिया. अमेरिका और ब्रिटेन ने सिर्फ "संयम बरतने" की सलाह दी, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने कोई प्रत्यक्ष हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

    पाकिस्तानी सेना में गिरता मनोबल और आर्थिक संकट

    टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना के भीतर मनोबल गिरने की खबरें सामने आई हैं. एक लीक हुए पत्र में बड़ी संख्या में सैनिकों द्वारा इस्तीफे की मांग की बात कही गई है. हालाँकि पाकिस्तान ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की, लेकिन इसे खारिज भी नहीं किया गया है.

    सबसे बड़ी समस्या पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था है. उसका सैन्य बजट महज 7.6 अरब डॉलर है, जो भारत के मुकाबले नगण्य है. विशेषज्ञों का कहना है कि एलओसी पर जबरन सैन्य तैनाती पाकिस्तान को प्रतिदिन 15-30 लाख डॉलर का नुकसान पहुँचा रही है. विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है, और आईएमएफ के कर्ज के बोझ तले पाकिस्तान की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है.

    भारत की सधी हुई रणनीति – शांत लेकिन मजबूत प्रतिकार

    भारत ने इस पूरे मामले में संयम और रणनीतिक समझदारी दिखाई है. जहाँ पाकिस्तान झूठे प्रचार और धमकियों में उलझा हुआ है, वहीं भारत ने सैन्य, कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर ठोस कदम उठाए हैं. दुनिया अब पाकिस्तान की "पहले तनाव पैदा करो, फिर मदद मांगो" वाली नीति को समझ चुकी है. अब पाकिस्तान के पास सिर्फ दो ही विकल्प बचे हैं – या तो आतंकवाद का समर्थन बंद करे, या फिर भारत के सख्त जवाबी कार्रवाई का सामना करे.

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