भारत का रहने वाला था वो शख्स, जिसने पाकिस्तान को थमाया परमाणु बम; इस देश से चुराया था फॉर्मूला

    भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बीच, पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक अब्दुल क़दीर ख़ान की भूमिका पर पुनः चर्चा हो रही है. हालाँकि पाकिस्तान ने परमाणु शक्ति बनने के बाद कई बार भारत से युद्ध की धमकियाँ दी हैं, लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है, कि पाकिस्तान को परमाणु शक्ति बनाने में किसका योगदान था और इसके पीछे की सच्चाई क्या है.

    Abdul qadeer khan gave nuclear bomb to pakistan got formula for europe
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    भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बीच, पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक अब्दुल क़दीर ख़ान की भूमिका पर पुनः चर्चा हो रही है. हालाँकि पाकिस्तान ने परमाणु शक्ति बनने के बाद कई बार भारत से युद्ध की धमकियाँ दी हैं, लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान को परमाणु शक्ति बनाने में किसका योगदान था और इसके पीछे की सच्चाई क्या है.


    अब्दुल क़दीर ख़ान का जन्म 1 अप्रैल 1936 को भारत के भोपाल में हुआ था. 1947 में विभाजन के समय उनका परिवार पाकिस्तान चला गया. उन्होंने कराची विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में जर्मनी, नीदरलैंड और बेल्जियम में धातुकर्म अभियांत्रिकी में उच्च शिक्षा ली. ख़ान ने उरेनको समूह में काम करते हुए यूरेनियम संवर्धन तकनीकी दस्तावेज़ों की चोरी की और 1976 में पाकिस्तान लौटकर काहुटा में खान रिसर्च लेबोरेटरी (KRL) की स्थापना की. यहाँ उन्होंने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की नींव रखी.

    अंतरराष्ट्रीय विवाद और परमाणु प्रसार

    अब्दुल क़दीर ख़ान को पश्चिमी देशों ने "परमाणु प्रसार का सबसे बड़ा अपराधी" करार दिया है. उन्होंने उत्तर कोरिया, ईरान और लीबिया को परमाणु तकनीकी जानकारी और उपकरणों की आपूर्ति की. 2004 में उन्होंने सार्वजनिक रूप से इन आरोपों को स्वीकार किया, लेकिन बाद में उन्होंने इसे दबाव में आकर किया हुआ बयान बताया. इसके बावजूद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उनकी गतिविधियों को लेकर गंभीर चिंताएँ बनी रहीं. 
    The New Yorker

    पाकिस्तान की परमाणु शक्ति: एक विवादित उपलब्धि

    पाकिस्तान ने 1998 में भारत के परमाणु परीक्षणों के जवाब में अपने पहले परमाणु परीक्षण किए. अब्दुल क़दीर ख़ान को इस उपलब्धि के लिए पाकिस्तान में "मोहसिन-ए-पाकिस्तान" (पाकिस्तान का benefactor) के सम्मान से नवाजा गया. हालाँकि, उनकी गतिविधियाँ और अंतरराष्ट्रीय परमाणु प्रसार में उनकी भूमिका ने पाकिस्तान की परमाणु शक्ति की वैधता और सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं.

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