पाकिस्तान रच रहा साजिश! लश्कर-ए-तैयबा और ISKP का हुआ आतंकी गठजोड़, भारत और अफगानिस्तान को खतरा

    Dangerous alliance in Balochistan: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत से जुड़ी एक बेहद खतरनाक आतंकी साजिश का खुलासा हुआ है. हालिया खुफिया रिपोर्टों, तस्वीरों और सुरक्षा एजेंसियों के आकलन के अनुसार, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI (Inter-Services Intelligence) अब दो खूंखार आतंकी संगठनों, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) को एकजुट कर एक साझा नेटवर्क खड़ा कर रही है.

    Pakistan Terrorist alliance Lashkar-e-Taiba and ISKP threat to India and Afghanistan
    Image Source: Social Media/X

    Dangerous alliance in Balochistan: पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत से जुड़ी एक बेहद खतरनाक आतंकी साजिश का खुलासा हुआ है. हालिया खुफिया रिपोर्टों, तस्वीरों और सुरक्षा एजेंसियों के आकलन के अनुसार, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI (Inter-Services Intelligence) अब दो खूंखार आतंकी संगठनों, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (ISKP) को एकजुट कर एक साझा नेटवर्क खड़ा कर रही है.

    यह गठबंधन केवल पाकिस्तान के भीतर बलूच राष्ट्रवादियों और अफगानिस्तान के तालिबान विरोधी समूहों के लिए खतरा नहीं है, बल्कि इसके जरिए जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को फिर से भड़काने की साजिश भी रची जा रही है. यह विकास दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए एक गंभीर और बहुस्तरीय चुनौती के रूप में देखा जा रहा है.

    एक तस्वीर ने खोली ISI की चालबाज़ी

    खुफिया एजेंसियों को मिली एक अहम तस्वीर में, ISKP के बलूचिस्तान प्रभारी मीर शफीक मेंगल को लश्कर-ए-तैयबा के वरिष्ठ आतंकी राणा मोहम्मद अशफाक को एक पिस्टल भेंट करते हुए देखा गया है. यह प्रतीकात्मक दृश्य दोनों संगठनों के बीच औपचारिक तालमेल की पुष्टि करता है.

    इस तस्वीर के सामने आने के बाद यह आशंका और प्रबल हो गई है कि ISI एक "आतंकी सिंडिकेट" बना रही है जिसमें धार्मिक चरमपंथ और राजनीतिक उद्देश्यों को मिलाकर एक हाइब्रिड युद्ध रणनीति को अंजाम दिया जा रहा है.

    कौन है मीर शफीक मेंगल?

    मीर शफीक मेंगल, बलूचिस्तान के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री नासिर मेंगल का बेटा है. इसे लंबे समय से ISI के "प्राइवेट डेथ स्क्वाड" का हिस्सा माना जाता रहा है, जो बलूच राष्ट्रवादियों की टारगेट किलिंग में शामिल रहा है. वर्ष 2015 की पाकिस्तान की ही JIT (Joint Investigation Team) रिपोर्ट में उसका नाम सामने आया था. वह अब ISKP के बलूचिस्तान नेटवर्क का समन्वयक है और संगठन के हथियार और फंडिंग संचालन का प्रमुख चेहरा है.

    राणा मोहम्मद अशफाक: लश्कर का नया चेहरा

    अशफाक लश्कर-ए-तैयबा का एक वरिष्ठ नेता और "नाज़िम-ए-आला" (ऑपरेशनल प्रमुख) है. पाकिस्तान में लश्कर के नए ब्रेनवॉशिंग और ट्रेनिंग कैंप (मरकज़) खोलने की जिम्मेदारी उसी के पास है. अशफाक की भूमिका लश्कर की भर्ती, कट्टरता और सैन्य प्रशिक्षण गतिविधियों में केंद्रीय है.

    ISKP के ऑपरेशनल बेस: मस्तुंग और खुजदार

    ISI की मदद से ISKP ने बलूचिस्तान के मस्तुंग और खुजदार जिलों में दो बड़े आतंकी बेस स्थापित किए हैं. इन ठिकानों को मीर शफीक मेंगल संचालित करता है. इन कैंपों से न केवल हथियारों की सप्लाई होती है, बल्कि ड्रोन, आईईडी और आत्मघाती हमलावरों की ट्रेनिंग भी दी जाती है.

    मार्च 2025 में बलूच विद्रोहियों ने मस्तुंग के ISKP कैंप पर हमला कर 30 से अधिक आतंकियों को मार गिराया था. इसके बाद ISI ने लश्कर-ए-तैयबा को इन ठिकानों की रक्षा के लिए सीधे हस्तक्षेप का आदेश दिया.

    लश्कर की एंट्री और ‘जिहाद’ का ऐलान

    जून 2025 में लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख राणा अशफाक खुद बलूचिस्तान पहुंचा और वहां एक "जिगरा" (सभा) आयोजित की. इस बैठक में बलूच विद्रोहियों के खिलाफ जिहाद छेड़ने की घोषणा की गई.

    इस सभा में लश्कर के डिप्टी सैफुल्लाह कासूरी (पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड) ने भी भाग लिया और स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो लोग पाकिस्तान की विचारधारा और सेना के खिलाफ हैं, उन्हें "जमीन से मिटा दिया जाएगा."

    कश्मीर को फिर से निशाना बनाने की साजिश

    खुफिया सूत्रों के अनुसार, ISKP की प्रोपेगेंडा मैगजीन "यलगार" के हालिया अंकों में जम्मू-कश्मीर में फिर से आतंक फैलाने की रणनीति पर जोर दिया गया है. विशेषज्ञ मानते हैं कि ISI अब वैचारिक रूप से अलग आतंकी संगठनों को मिलाकर एक साझा प्लेटफॉर्म बना रही है, जिसका उद्देश्य बलूच विद्रोह को कुचलना, अफगानिस्तान में तालिबान विरोधी ताकतों को खत्म करना और भारत के खिलाफ छद्म युद्ध को आगे बढ़ाना है.

    पुराना नेटवर्क फिर से सक्रिय

    लश्कर-ए-तैयबा की बलूचिस्तान में गतिविधियां नई नहीं हैं.इससे पहले क्वेटा स्थित मरकज़ तक़वा 2002 से 2009 तक सक्रिय था. साथ ही इस मरकज़ में ही इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक यासीन भटकल ने हथियारों की ट्रेनिंग ली थी. उस दौरान लश्कर की गतिविधियां अफगान सीमा तक फैली हुई थीं, और अब ISI उसी नेटवर्क को नए तरीके से पुनर्जीवित कर रही है.

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