पाकिस्तान एक बार फिर अपने सैन्य शक्ति के दिखावे में जुट गया है. इस बार शोर है उसके एयर-लॉन्च्ड क्रूज मिसाइल ‘तैमूर’ को लेकर, जिसे वह “गेम चेंजर” बता रहा है. पाकिस्तानी रणनीतिक विश्लेषकों और कुछ पक्षपाती वेबसाइट्स के जरिए दावा किया जा रहा है कि यह मिसाइल भारत की SCALP जैसी मिसाइलों को टक्कर देने में सक्षम है.
लेकिन सवाल यह उठता है. क्या वाकई तैमूर उतनी ही ताकतवर है, जितना पाकिस्तान प्रचारित कर रहा है, या फिर यह सिर्फ एक और रणनीतिक भ्रमजाल है? आइए तकनीकी और सामरिक नजरिए से इसकी पड़ताल करते हैं.
तैमूर मिसाइल: क्या है यह हथियार?
तैमूर एक एयर-लॉन्च्ड क्रूज मिसाइल (ALCM) है, जिसे पाकिस्तान ने 2022 में पहली बार सार्वजनिक किया था. इसे पाकिस्तान की GIDS (Global Industrial & Defence Solutions) ने विकसित किया है.
इस मिसाइल को विशेष रूप से JF-17 जैसे फाइटर जेट्स से लॉन्च किया जा सकता है और पाकिस्तान इसे अपने पुराने RAAD मिसाइल सिस्टम का उन्नत संस्करण बता रहा है.
तकनीकी विशेषताएं जिनका दावा किया गया है
टेर्रेन-हगिंग और सी-स्किमिंग उड़ान: ज़मीन या समुद्र की सतह के बेहद करीब उड़ान भरना, ताकि राडार से बचा जा सके. मल्टी-गाइडेंस सिस्टम: मिसाइल को सटीक दिशा में ले जाने के लिए कई नेविगेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल. IIR सीकर (Imaging Infrared): लक्ष्य को पहचानने और ट्रैक करने की उन्नत क्षमता. स्टील्थ डिजाइन: राडार पर कम दिखने वाला ढांचा. न्यूक्लियर क्षमता का दावा: पाकिस्तान का कहना है कि इसमें न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने की क्षमता है.
तैमूर और JF-17 की जोड़ी: भारत को कितनी चुनौती?
पाकिस्तान के दावे के अनुसार, तैमूर को JF-17 ब्लॉक-III फाइटर जेट्स में सफलतापूर्वक एकीकृत किया गया है. इसकी रेंज और लो-लेवल फ्लाइट प्रोफाइल की वजह से पाकिस्तान दावा कर रहा है कि वो भारतीय वायुसेना के बेस, रडार, नौसेना अड्डों और एयरक्राफ्ट कैरियर्स को निशाना बना सकता है. डिफेंस प्रचार वेबसाइटें यह तक कह रही हैं कि तैमूर भारत के एस-400 सिस्टम को भी मात दे सकता है, जो तकनीकी रूप से एक काल्पनिक कल्पना से ज्यादा कुछ नहीं.
हकीकत की जमीन पर तैमूर की स्थिति
सब-सोनिक स्पीड = धीमा लक्ष्य: तैमूर की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी गति है. ये मिसाइल ध्वनि की गति से धीमी उड़ती है. भारत की ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें सुपरसोनिक हैं — यानि कहीं ज्यादा तेज़, जिनका इंटरसेप्ट करना कहीं कठिन है. S-400 को चकमा देना आसान नहीं: S-400 सिस्टम खास तौर पर क्रूज, बैलिस्टिक और लो-फ्लाइंग मिसाइलों को पहचानने और नष्ट करने के लिए ही बना है. इसके पास मल्टी-लेयर्ड ट्रैकिंग और इंटरसेप्शन की क्षमताएं हैं.
भारत के पास सिर्फ S-400 नहीं है
बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD)
और भारत की AEW&C एयर निगरानी प्रणाली. इन सबका संयुक्त असर यह है कि तैमूर जैसी मिसाइलें रडार से बच कर हमले को अंजाम नहीं दे सकतीं, जैसा पाकिस्तान दावा करता है.
SCALP से तुलना: पाकिस्तानी भ्रम या तथ्य?
भारत की SCALP मिसाइल, जो फ्रांस के साथ हुए राफेल सौदे के तहत मिली है, तैमूर से कई गुना उन्नत है:
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