कराची से एक अनोखा और दिलचस्प मामला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति ने अपने दर्जी पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए उपभोक्ता संरक्षण अदालत में शिकायत दर्ज कराई है. मामला सिर्फ कपड़े समय पर न मिलने का नहीं है, बल्कि इसके चलते एक पारिवारिक समारोह में उसकी परेशानियों और मानसिक तनाव का भी ज़िक्र किया गया है.
दर्जी पर लगाया वादा तोड़ने और मानसिक तनाव देने का आरोप
शिकायतकर्ता का आरोप है कि उसने अपने भाई की सगाई के लिए खास तौर पर फैंसी पोशाक सिलवाने के लिए दर्जी को कपड़ा और एडवांस पेमेंट दोनों ही दिए थे. दर्जी ने भरोसा दिलाया कि पोशाक समय से तैयार कर दी जाएगी. लेकिन लगातार कई बार दुकान पर चक्कर लगाने के बावजूद कपड़े समय पर नहीं मिले. रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 के बीच तीन बार बलूची कढ़ाई के लिए कपड़े दिए गए थे, और दर्जी ने यह वादा किया था कि 20 फरवरी से पहले कपड़े डिलीवर कर दिए जाएंगे क्योंकि उसी दिन शिकायतकर्ता के भाई की सगाई थी.
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मजबूरी में खरीदी वैकल्पिक पोशाक
हालात ऐसे बने कि 10 फरवरी को जब वह कपड़े लेने गया, तो दर्जी ने साफ़ मना कर दिया और मज़दूरों की कमी का बहाना बना दिया. इसके बाद शिकायतकर्ता ने लगातार दर्जी की दुकान के चक्कर काटे, यह देखने के लिए कि काम हो भी रहा है या नहीं. लेकिन जब यह स्पष्ट हो गया कि कपड़े अब भी जैसे के तैसे हैं, तो उसे मजबूरी में वैकल्पिक पोशाक खरीदनी पड़ी, जिससे उसका खर्च और बढ़ गया.
₹1 लाख का मुआवजा मांगा गया
अब शिकायतकर्ता ने दर्जी के खिलाफ ₹1 लाख का मुआवजा मांगा है. जिसमें ₹50,000 अधूरे वादे के लिए और ₹50,000 मानसिक तनाव के लिए शामिल हैं. उसका कहना है कि समय पर कपड़े न मिलने की वजह से उसे न सिर्फ अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़े, बल्कि पारिवारिक प्रतिष्ठा को लेकर भी उसे असहज स्थिति का सामना करना पड़ा. फिलहाल मामला उपभोक्ता अदालत में विचाराधीन है और अदालत इस बात की जांच कर रही है कि दर्जी की लापरवाही ग्राहक की कानूनी शिकायत को किस हद तक न्यायोचित ठहराती है.