पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान में अफरा-तफरी का माहौल है. हर तरफ एक ही सवाल गूंज रहा है, भारत कब जवाबी हमला करेगा? इस सवाल का डर इस कदर हावी है कि पाकिस्तान की सरकार, सेना और संसद तीनों स्तंभों में बेचैनी साफ झलक रही है. हालात इतने नाजुक हो चुके हैं कि खुद पाकिस्तानी सांसद संसद आने से कतरा रहे हैं और सेना अपने संसाधनों की कमी से जूझ रही है.
स्पेशल सेशन में भी खाली कुर्सियां, सांसदों में डर का माहौल
सोमवार शाम पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में एक विशेष सत्र बुलाया गया, जिसका उद्देश्य भारत के संभावित सैन्य प्रतिक्रिया पर चर्चा करना था. लेकिन संसद में जिस तरह की सन्नाटा पसरा था, उसने पूरी दुनिया को बता दिया कि पाकिस्तान के भीतर का डर कितना गहरा है. अधिकतर सांसद अनुपस्थित रहे, और जो आए भी, उन्होंने भारत या भारतीय सेना के खिलाफ एक शब्द तक नहीं कहा.
‘लड़ने की बजाय इंग्लैंड भाग जाऊंगा’
इमरान खान की पार्टी पीटीआई के सांसद शेर अफजल खान मारवात का बयान इस डर को पूरी तरह उजागर कर गया. उन्होंने खुलेआम कहा कि अगर भारत ने हमला किया, तो वे लड़ने के बजाय इंग्लैंड भाग जाएंगे. यह बयान खुद पाकिस्तान की राजनीतिक हिम्मत पर सवाल खड़ा करता है.
सेना भी सहमी, अधिकारी परिवारों को विदेश भेज रहे
ना केवल राजनेता, बल्कि सैन्य अधिकारी भी भयभीत हैं. सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने अपने परिवारों को पहले ही विदेश भेज दिया है. उन्हें अंदेशा है कि अगर युद्ध छिड़ता है तो पाकिस्तान ज्यादा दिन नहीं टिक पाएगा.
सिर्फ चार दिन का गोला-बारूद, हथियार यूक्रेन को बेच चुका है पाकिस्तान
खुफिया रिपोर्टों की मानें तो पाकिस्तान के पास केवल चार दिन की जंग लड़ने लायक गोला-बारूद शेष है. कारण? आर्थिक तंगी से जूझते हुए पाकिस्तान ने अमेरिका और ब्रिटेन के दबाव में यूक्रेन को हथियार बेच दिए. 7,843 करोड़ रुपये की डील के तहत पाकिस्तान ने अपने 155 मिमी के गोले यूक्रेन को सौंप दिए, जिससे अब उसकी खुद की होवित्जर तोपें निष्क्रिय हो चुकी हैं. पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की जर्जर मशीनें अब नए हथियार भी पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पा रहीं. इस संकट को देखते हुए पाकिस्तानी सेना ने तीन दिन पहले एक विशेष कोर कमांडर्स कांफ्रेंस में आपातकालीन चर्चा की.
अंतरराष्ट्रीय दबाव में की थी हथियार डील, अब पस्त हाल में है पाकिस्तान
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि उसे यूक्रेन को हथियार बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा. अमेरिका और ब्रिटेन ने इसे एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने का लालच दिया और हथियार डील के लिए राजी कर लिया. आज उसी सौदे ने पाकिस्तान को युद्ध की कगार पर पूरी तरह कमजोर बना दिया है.
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का कबूलनामा
खुद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी कबूल कर चुके हैं कि पाकिस्तान आतंकवादियों को समर्थन देता रहा है. उन्होंने यह भी स्वीकारा कि अमेरिका और ब्रिटेन के इशारे पर यह सब किया गया. यह बयान एक रणनीतिक चाल मानी जा रही है ताकि पश्चिमी देश भारत पर युद्ध न शुरू करने का दबाव बनाएं.
पाकिस्तान की जर्जर अर्थव्यवस्था, युद्ध खर्च का बोझ नहीं उठा सकती
युद्ध का सिर्फ एक दिन पाकिस्तान पर 2,100 करोड़ रुपये का बोझ डाल सकता है. जबकि पाकिस्तान की कुल अर्थव्यवस्था 32 लाख करोड़ रुपये की है और उसका रक्षा बजट मात्र 66,000 करोड़ रुपये. इसके विपरीत भारत की अर्थव्यवस्था 336 लाख करोड़ रुपये की है और रक्षा बजट 6.81 लाख करोड़—यानी पाकिस्तान से दस गुना अधिक. ऊपर से, हर दिन सेनाओं को हाई अलर्ट पर रखने के लिए पाकिस्तान को 27 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं, जो उसकी आर्थिक हालत के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.
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