दुनिया में इन दिनों तनाव और टकराव की स्थिति लगातार बढ़ती जा रही है. कहीं सीमा पर संघर्ष है, कहीं विचारधाराओं की जंग. रूस-यूक्रेन युद्ध हो या ईरान-इज़रायल के बीच गहराती खाई, हर मोर्चे पर हथियारों की दौड़ तेज़ हो चुकी है. ऐसे में कोई भी देश पीछे नहीं रहना चाहता — न भारत, न अमेरिका और अब न ही पाकिस्तान. हथियारों की इस होड़ में अब पाकिस्तान भी एक खतरनाक दिशा में कदम बढ़ाता दिख रहा है.
खुफिया रिपोर्ट का दावा – पाकिस्तान बना रहा है ICBM
अमेरिका की कुछ खुफिया एजेंसियों और ‘फॉरेन अफेयर्स’ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) को विकसित करने में जुटा है, जिसकी मारक क्षमता अमेरिका तक हो सकती है. यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से सीक्रेट रखा गया है और कहा जा रहा है कि इसमें उसे चीन का पूरा तकनीकी सहयोग भी मिल रहा है.
परमाणु हथियारों से लैस ICBM – अमेरिका के लिए खतरा?
रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि अगर पाकिस्तान ऐसी मिसाइल बनाने में कामयाब हो जाता है, तो अमेरिका उसे “परमाणु विरोधी देश” घोषित कर सकता है — यानी ऐसे देश की सूची में शामिल कर सकता है जो अमेरिकी सुरक्षा के लिए सीधा खतरा बन सकता है. फिलहाल रूस, चीन और उत्तर कोरिया को ऐसे देशों की सूची में रखा गया है.
अब तक सिर्फ भारत के खिलाफ रणनीति का दावा करता रहा है पाकिस्तान
पाकिस्तान लंबे समय से यह कहता आया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल भारत से खतरे को संतुलित करने के लिए है. अब तक उसकी मिसाइल नीति छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों पर केंद्रित रही है, जैसे शाहीन-III, जिसकी मारक क्षमता 2,700 किलोमीटर है और जो भारत के कई बड़े शहरों को निशाना बना सकती है.
ICBM की ताकत – 5500 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक वार
इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) वो हथियार होता है जो परमाणु या पारंपरिक दोनों तरह के वॉरहेड्स से लैस हो सकता है और 5,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक किसी भी लक्ष्य को भेदने में सक्षम होता है. अगर पाकिस्तान इस तकनीक को हासिल कर लेता है, तो वह न केवल क्षेत्रीय, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन के लिए भी बड़ा खतरा बन सकता है.
भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन-पाक गठजोड़ सक्रिय?
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत द्वारा हाल ही में किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान चीन की मदद से अपने परमाणु जखीरे को और अधिक उन्नत बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है. यह रणनीतिक गठजोड़ आने वाले समय में दक्षिण एशिया के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है.
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