'या तो पानी दो, या जंग झेलो...', पाकिस्तान ने भारत को फिर दी गीदड़भभकी

    Pakistan: भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे सिंधु जल संधि को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है. ताज़ा घटनाक्रम में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने भारत को खुलेआम युद्ध की धमकी दी है.

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    Pakistan: भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे सिंधु जल संधि को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है. ताज़ा घटनाक्रम में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने भारत को खुलेआम युद्ध की धमकी दी है. यह बयान तब आया जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ शब्दों में कहा कि भारत को अब सिंधु जल समझौता बहाल करने में कोई दिलचस्पी नहीं है.

    “या तो पानी दो, या जंग झेलो”

    एक जनसभा को संबोधित करते हुए बिलावल भुट्टो ने आक्रामक लहजे में कहा, भारत या तो संधि को फिर से मान्यता दे या फिर जंग के लिए तैयार रहे. अगर भारत ने पानी रोका, तो पाकिस्तान सभी छह नदियों पर कब्जा करेगा. यह पहली बार नहीं है जब बिलावल ने भारत को निशाना बनाते हुए सिंधु जल मुद्दे पर उग्र बयान दिया है. इससे पहले भी वे कह चुके हैं, या तो नदियों में पानी बहेगा या भारत में खून.

    हम सिंधु सभ्यता के रक्षक हैं

    बिलावल ने अपने बयान में सिंधु सभ्यता की विरासत का हवाला देते हुए कहा कि यह पाकिस्तान के अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि यदि भारत ने पानी की आपूर्ति बंद की, तो पाकिस्तान के पास युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.

    संधि बहाल नहीं होगी

    भारतीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिए बयान में स्पष्ट किया कि भारत सिंधु जल समझौते को दोबारा बहाल करने का इच्छुक नहीं है. इससे पहले अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ यह संधि निलंबित कर दी थी. भारत का यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से उठाया गया था, जिसे पाकिस्तान ने अब तक की सबसे सख्त प्रतिक्रिया में देखा.

    पाकिस्तान की कड़ी प्रतिक्रिया

    पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अमित शाह के बयान पर आपत्ति जताई है और इसे द्विपक्षीय संधि का उल्लंघन बताया है. पाकिस्तान का आरोप है कि भारत जानबूझकर पानी रोककर उन्हें आर्थिक और कृषि संकट में धकेलना चाहता है.

    छह दशकों का जल-बंटवारा

    1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों के जल के बंटवारे की ऐतिहासिक व्यवस्था रही है. सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का अधिकतर जल पाकिस्तान को दिया गया, जबकि रावी, ब्यास और सतलुज का पानी भारत के हिस्से आया. इस समझौते में दोनों देशों को निरीक्षण, डेटा साझा करने और तकनीकी सहयोग की अनुमति दी गई थी.

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