बच्चों का सहारा ले रहा पाकिस्तान, दे रहा खास ट्रेनिंग; भारत के पलटवार के डर से खौफ में शहबाज सरकार

    पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में बच्चों को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने की पाकिस्तान की नीति अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और बाल अधिकारों का उल्लंघन है. हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में यह सामने आया है कि पाकिस्तानी प्रशासन ने स्कूली बच्चों को युद्ध की परिस्थितियों में "ह्यूमन शील्ड" बनने की ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है.

    Pakistan is in fear giving training to children using them as a shield
    Image Source: Social Media

    पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में बच्चों को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने की पाकिस्तान की नीति अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और बाल अधिकारों का उल्लंघन है. हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में यह सामने आया है कि पाकिस्तानी प्रशासन ने स्कूली बच्चों को युद्ध की परिस्थितियों में "ह्यूमन शील्ड" बनने की ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है.

    बच्चों को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करना: एक गंभीर उल्लंघन

    पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद क्षेत्र में स्थित 13 स्कूलों में बच्चों को युद्ध के दौरान प्राथमिक चिकित्सा और सुरक्षा उपायों की ट्रेनिंग दी जा रही है. इन स्कूलों के खेल के मैदानों को आपातकालीन प्रशिक्षण केंद्रों में बदल दिया गया है, जहां बच्चों को बताया जा रहा है कि युद्ध की स्थिति में वे कैसे "ह्यूमन शील्ड" बनकर अपनी और दूसरों की सुरक्षा कर सकते हैं. यह प्रशिक्षण 10 से 12 वर्ष के बच्चों को भी दिया जा रहा है, जो उनकी सुरक्षा और भविष्य के लिए गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है.

    अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की चिंता

    संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने बच्चों को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने की इस नीति की कड़ी निंदा की है. यह न केवल बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह उन्हें युद्ध के खतरों में झोंकने का प्रयास भी है. ऐसी कार्रवाइयाँ बच्चों की शारीरिक और मानसिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे का कारण बन सकती हैं.

    पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

    पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थानीय लोग इस प्रशिक्षण नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि पाकिस्तानी सेना नागरिकों को "ह्यूमन शील्ड" के रूप में इस्तेमाल कर रही है, ताकि भारत के खिलाफ प्रचार किया जा सके. इन विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया है, जो नागरिक अधिकारों के उल्लंघन का उदाहरण है.

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