इस्लामाबाद: पाकिस्तान में पोलियो का खतरा एक बार फिर गंभीरता से उभरकर सामने आया है. 2025 के जुलाई महीने में देश के अलग-अलग हिस्सों से पोलियो के तीन नए मामले सामने आए हैं, जिससे इस साल अब तक कुल मामलों की संख्या 17 हो चुकी है. यह स्थिति न केवल पाकिस्तान की स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि टीकाकरण अभियान के बावजूद वायरस जड़ों में अब भी मौजूद है.
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, ताजा मामलों में दो बच्चे खैबर पख्तूनख्वा से और एक सिंध से संक्रमित पाया गया है. इन मामलों की पुष्टि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के रीजनल रेफरेंस लेबोरेटरी फॉर पोलियो इरैडिकेशन ने की है.
कहां मिले ये नए मामले?
तीनों नए केस छोटे बच्चों में पाए गए हैं-
इन मामलों की पुष्टि प्रयोगशाला परीक्षणों के बाद हुई है. इस साल सामने आए कुल 17 मामलों में 10 खैबर पख्तूनख्वा, 5 सिंध, 1 पंजाब और 1 गिलगित-बाल्टिस्तान से हैं. यह स्पष्ट करता है कि पोलियो का प्रसार पाकिस्तान के भिन्न क्षेत्रों में अब भी सक्रिय है.
पोलियो: बीमारी नहीं, एक चुनौती
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पोलियो एक अत्यंत संक्रामक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है. यह वायरस रीढ़ की हड्डी को प्रभावित कर सकता है और स्थायी अपंगता या मृत्यु का कारण बन सकता है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि इसका कोई इलाज नहीं है. केवल बार-बार वैक्सीनेशन कराकर ही इससे बचा जा सकता है.
WHO बार-बार यह दोहराता आया है कि पोलियो से लड़ाई में हर बच्चे का समय पर टीकाकरण जरूरी है. एक बार पूरा टीकाकरण हो जाने पर बच्चा जीवनभर इस बीमारी से सुरक्षित रह सकता है.
अभियान जारी, लेकिन वायरस अब भी
पोलियो को खत्म करने के लिए पाकिस्तान लगातार विशेष टीकाकरण अभियान चला रहा है. हाल ही में 21 से 27 जुलाई के बीच अफगानिस्तान की सीमा से लगे यूनियन काउंसिलों में एक समन्वित पोलियो वैक्सीनेशन अभियान चलाया गया. यह अफगानिस्तान के सब-नेशनल पोलियो प्रोग्राम के साथ मिलकर किया गया प्रयास था.
इसके साथ ही बलूचिस्तान के चमन जिले में फ्रैक्शनल IPV-OPV (इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन और ओरल पोलियो वैक्सीन) अभियान 21 जुलाई से शुरू हुआ, जो अब 28 जुलाई से बलूचिस्तान के अन्य छह जिलों में भी लागू किया जा रहा है.
सीवेज से मिली चेतावनी: वायरस अभी जिंदा है
पोलियो वायरस के प्रसार को मापने के लिए एनआईएच इस्लामाबाद की प्रयोगशाला द्वारा सीवेज नमूनों का विश्लेषण किया गया. कुल 31 जिलों से 38 नमूने एकत्र किए गए, जिनमें से डेरा इस्माइल खान, सुक्कुर और कराची के नमूनों में वाइल्ड पोलियो वायरस टाइप 1 (WPV1) की पुष्टि हुई. इसका सीधा अर्थ है कि इन इलाकों में पोलियो वायरस सक्रिय रूप से फैल रहा है, और बच्चों के लिए खतरा लगातार मंडरा रहा है.
इससे पहले मई में, एनआईएच ने 18 जिलों में वायरस की मौजूदगी की पुष्टि की थी. जिन जिलों में पोलियो वायरस मिला, उनमें शामिल हैं:
पेशावर, टांक, उत्तरी वजीरिस्तान, लाहौर, रावलपिंडी, क्वेटा, झोब, इस्लामाबाद, अब्बोटाबाद, बन्नू, बादिन, जमशोरो, हैदराबाद, काशमोर और लोरालाई.
पोलियो के खिलाफ जंग: भरोसे की ज़रूरत
पोलियो का उन्मूलन केवल टीकाकरण के ज़रिए ही नहीं होगा, बल्कि इसके लिए सामाजिक जागरूकता, राजनीतिक इच्छाशक्ति और भरोसे की बुनियाद भी चाहिए. पाकिस्तान में बार-बार यह देखा गया है कि कई बार पोलियो वैक्सीनेशन टीमों पर हमले हुए हैं, या टीकाकरण को लेकर अफवाहें फैलाई गईं, जिससे वैक्सीनेशन अभियान बाधित हुआ.
ग्रामीण और सीमावर्ती इलाकों में, खासतौर पर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों में, शिक्षा की कमी और अंधविश्वास आज भी टीकाकरण को रोकते हैं. लोगों को यह यकीन दिलाना कि यह टीका न केवल उनके बच्चों की सुरक्षा के लिए है, बल्कि पूरे देश की स्वास्थ्य सुरक्षा का आधार है, अब सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है.
क्या पाकिस्तान फिर से पोलियो-मुक्त हो पाएगा?
पाकिस्तान दुनिया के उन गिने-चुने देशों में से एक है, जहां पोलियो वायरस अब भी मौजूद है. अफगानिस्तान और पाकिस्तान ही ऐसे दो देश हैं, जिन्हें अब तक WHO द्वारा पोलियो-फ्री घोषित नहीं किया गया. हालांकि सरकारी प्रयास लगातार हो रहे हैं, लेकिन जब तक वायरस की पुष्टि होती रहेगी, तब तक 'पोलियो उन्मूलन' केवल एक लक्ष्य बना रहेगा, हकीकत नहीं.
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