इस्लामाबाद से आई एक सनसनीखेज चेतावनी ने पूरे पाकिस्तान, खासकर कराची शहर को चिंता में डाल दिया है. ईद-उल-अजहा जैसे बड़े त्योहार से पहले आतंकवादी हमले का खतरा मंडरा रहा है. पाकिस्तान की राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण (NACTA) ने कराची और उसके आस-पास के क्षेत्रों में संभावित आतंकी हमले को लेकर हाई अलर्ट जारी किया है. यह विडंबना ही है कि जिस देश को आतंकवाद का पालक-पोषक कहा जाता रहा है, वह अब खुद उन्हीं तत्वों के निशाने पर आ गया है.
NACTA का अलर्ट: कराची पर मंडराता खतरा
पाकिस्तान की राष्ट्रीय आतंकवादी निरोधक प्राधिकरण (NACTA) की ओर से जारी खतरे के अलर्ट (संख्या 071) में कहा गया है कि ईद-उल-अजहा के मौके पर कराची और उसके आस-पास के क्षेत्रों में एक अज्ञात आतंकी संगठन हमला कर सकता है. इस चेतावनी पत्र पर डायरेक्टर ऑपरेशंस आबिद फारूक मलिक के हस्ताक्षर हैं और यह पत्र सिंध के गृह सचिव, पुलिस महानिरीक्षक और पाकिस्तान रेंजर्स सिंध के महानिदेशक को भेजा गया है.
कड़ी निगरानी और सुरक्षा के निर्देश
अलर्ट में साफ तौर पर निर्देश दिए गए हैं कि पुलिस स्टेशनों, पुलिस लाइनों और अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए. कानून प्रवर्तन एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और किसी भी संभावित हमले से पहले सुरक्षा प्रोटोकॉल को और अधिक सख्त करने की सिफारिश की गई है. यह भी कहा गया है कि अलर्ट की सामग्री को केवल उन अधिकारियों तक ही सीमित रखा जाए जो इससे प्रत्यक्ष रूप से संबंधित हैं.
'अनजान' आतंकियों से खतरा?
NACTA की ओर से जारी इस अलर्ट में किसी भी आतंकवादी संगठन का नाम नहीं लिया गया है, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं. सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीति इसलिए अपनाई गई है ताकि अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो सरकार किसी भी गुट पर आरोप मढ़ सके. यह भी चर्चा है कि इस तरह के अलर्ट देश की खुफिया एजेंसियों की योजना के तहत जारी किए जाते हैं ताकि पहले से खुद को जिम्मेदारी से अलग दिखाया जा सके.
अपने ही जाल में फंसता पाकिस्तान
आज पाकिस्तान जिस स्थिति का सामना कर रहा है, वह खुद उसके वर्षों पुराने दोहरे रवैये का परिणाम है. एक ओर उसने आतंकियों को पनाह दी, उन्हें प्रशिक्षण दिया, आर्थिक मदद पहुंचाई; वहीं अब वही आतंकी संगठन पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बनते जा रहे हैं. ईद जैसे पवित्र त्योहार से पहले पाकिस्तान की यह चिंता न सिर्फ उसकी आंतरिक खुफिया नाकामी को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आतंक को हथियार बनाने वाला देश आखिरकार उसी आग में झुलसने लगा है.
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