लंदन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने एक बार फिर भारत के खिलाफ उकसाने वाले बयान दिए. उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान ने "ऑपरेशन सिंदूर" में भारत को पराजित किया है और भारत को यह हार स्वीकार कर लेनी चाहिए.
हालांकि, इस बयान में जितना दम नजर आता है, असलियत उससे बिल्कुल उलट है. यह बयान पाकिस्तान की एक और रणनीतिक हार को छिपाने की कोशिश मानी जा रही है.
पाकिस्तान का दावा और सच्चाई में अंतर
इशाक डार का कहना है कि पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन के दौरान न केवल हवाई नियंत्रण हासिल किया, बल्कि जमीन पर भी भारत को बराबरी का जवाब दिया. उन्होंने भारतीय मीडिया और प्रशासन पर भी झूठ फैलाने का आरोप लगाया. लेकिन जब वास्तविकता की पड़ताल की जाती है, तो साफ नजर आता है कि यह सब केवल प्रचार और भ्रम फैलाने की कोशिश है.
ऑपरेशन सिंदूर: एकतरफा भारतीय सफलता
सूत्रों के अनुसार, "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों पर बेहद सटीक हमले किए. भारतीय वायुसेना द्वारा की गई कार्रवाई में पाकिस्तानी एयरबेस, ड्रोन नियंत्रण केंद्र और आतंकियों के ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा.इतना ही नहीं, पाकिस्तान द्वारा दागे गए किसी भी ड्रोन या मिसाइल को भारत की सीमा में प्रवेश करने का मौका नहीं मिला. यहां तक कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस नुकसान को स्वीकार किया था.
हार के बाद भी जश्न?
पाकिस्तान सरकार ने अपनी इस असफलता के बावजूद जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल का दर्जा देकर देश में भ्रम फैलाने की कोशिश की. जबकि जमीनी सच्चाई यह है कि भारत ने अपनी सैन्य क्षमता और रणनीतिक तैयारियों से पाकिस्तान को चौतरफा पीछे धकेल दिया. इस ऑपरेशन के बाद उपग्रह से प्राप्त चित्रों, खुफिया रिपोर्टों और स्वतंत्र सुरक्षा विशेषज्ञों के विश्लेषणों ने यह साबित कर दिया कि भारत की कार्रवाई न सिर्फ सफल रही, बल्कि पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली की कमजोरियों को भी उजागर कर गई.
खुद को शांतिदूत बताकर दुनिया को गुमराह करने की कोशिश
इशाक डार ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान क्षेत्रीय शांति का समर्थक है और वह संप्रभुता का सम्मान करता है. यह सुनकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी चौंक सकता है, क्योंकि सच्चाई यह है कि पाकिस्तान ने पाक अधिकृत कश्मीर में अवैध कब्जा कर रखा है और जम्मू-कश्मीर में दशकों से आतंकवाद को बढ़ावा देता आया है. इन दावों के बावजूद पाकिस्तान के नेता अपनी छवि बचाने के लिए बार-बार झूठ और भ्रम का सहारा लेते हैं.
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