पाकिस्तान पर चीन की छाया... पाकिस्तानी एक्सपर्ट ने चीन की दोस्ती पर ये क्या कह दिया?

    अक्सर यह कहा जाता है कि पाकिस्तान चीन के आगे-पीछे चलता है. हथियारों से लेकर निवेश और कूटनीति तक वह पूरी तरह बीजिंग पर निर्भर है. लेकिन इस धारणा को पूरी तरह खारिज करते हुए पाकिस्तान के विदेश मामलों के विश्लेषक कमर चीमा ने साफ किया है कि पाकिस्तान की अपनी पहचान है और वह किसी का ‘डिप्लोमैटिक असिस्टेंट’ नहीं है.

    Pakistan China Relation Expert on us china
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    अक्सर यह कहा जाता है कि पाकिस्तान चीन के आगे-पीछे चलता है. हथियारों से लेकर निवेश और कूटनीति तक वह पूरी तरह बीजिंग पर निर्भर है. लेकिन इस धारणा को पूरी तरह खारिज करते हुए पाकिस्तान के विदेश मामलों के विश्लेषक कमर चीमा ने साफ किया है कि पाकिस्तान की अपनी पहचान है और वह किसी का ‘डिप्लोमैटिक असिस्टेंट’ नहीं है.

    “हर रिश्ते में बराबरी की जगह होती है” 

    एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान चीन की ‘शेडो’ में रहकर उसका एजेंडा आगे बढ़ाता है, तो चीमा ने दो टूक कहा, हम चीन से हथियार जरूर लेते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम उसके हर इशारे पर चलें. हमारी अपनी विदेश नीति है और अपनी रणनीतिक प्राथमिकताएं भी. उन्होंने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह चीन पर निर्भर नहीं है. आईएमएफ हो या वर्ल्ड बैंक ये सब पश्चिमी संस्थाएं हैं और पाकिस्तान उनसे भी सहयोग लेता है. चीन केवल इसलिए हमारे लिए फायदेमंद है क्योंकि वह हमें सम्मान देता है और भरोसे के साथ निवेश करता है.

    भारत को अमेरिका से सबकुछ मिलता है, हमें कुछ नहीं

    भारत और अमेरिका के मजबूत रिश्तों का ज़िक्र करते हुए चीमा ने कहा कि पाकिस्तान के पास ऐसे विकल्प नहीं हैं.भारत को अमेरिका, फ्रांस और बाकी पश्चिमी देश हथियारों से लेकर तकनीक तक सबकुछ देते हैं. पाकिस्तान को न एक गोली मिलती है, न जहाज का एक टायर. ऐसे में चीन के साथ रिश्ते रखना मजबूरी नहीं, समझदारी है.

    हम एशिया की एक छोटी रियासत हैं, अपनी जगह समझते हैं

    पाकिस्तानी विशेषज्ञ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान अपने आकार और स्थिति को लेकर यथार्थवादी है. हम कोई बड़ी ताकत नहीं हैं, लेकिन हम ये भी नहीं मानते कि किसी देश की बाहों में पड़े रहें. हम ये देखते हैं कि मौजूदा माहौल में कौन हमें बेहतर सूट करता है चीन या अमेरिका.

    रूस-भारत के रिश्तों पर भी साधा निशाना

    कमर चीमा ने भारत और रूस की घनिष्ठता पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि जब ऑपरेशन सिंदूर हुआ और भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की, तो रूस ने चुप्पी साध ली. भारत को उम्मीद थी कि रूस उसका समर्थन करेगा, लेकिन कोई खुला बयान तक नहीं आया. यह बताता है कि पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर पूरी तरह अलग-थलग मान लेना एक गलतफहमी है.

    मल्टी-अलाइनमेंट सिर्फ भारत की नीति नहीं

    चीमा ने यह भी कहा कि मल्टी-अलाइनमेंट (यानि कई देशों से समानांतर रिश्ते) की रणनीति केवल भारत नहीं अपनाता, पाकिस्तान भी इसी राह पर है. हमारे एयर चीफ ज़हीर बाबर सिद्धू अमेरिका गए और जैसे ही लौटे, चीन के एयर चीफ पाकिस्तान पहुंच गए. इससे साफ है कि पाकिस्तान दोनों के साथ रिश्ते बनाए रखने की कोशिश करता है.

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