शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में इस बार भारत के रुख ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान खींचा. चीन के किंगदाओ में हो रही इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद को लेकर किसी भी तरह की ढील देने से साफ इनकार कर दिया.
बैठक के दौरान पाकिस्तान और चीन की ओर से तैयार किए गए संयुक्त दस्तावेज में आतंकवाद से जुड़ी कुछ अहम घटनाओं का जिक्र नहीं था — खासतौर पर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का. यही वजह रही कि राजनाथ सिंह ने उस दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया. सूत्रों के अनुसार, इस ड्राफ्ट को इस तरह तैयार किया गया था कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति को कमजोर किया जा सके.
चीन-पाक की चाल को किया नाकाम
इस बार समिट की मेज़बानी चीन कर रहा है, इसलिए दस्तावेज के मसौदे में उसकी अहम भूमिका थी, लेकिन चीन द्वारा पाकिस्तान के प्रति नरम रुख और आतंकी हमले को नजरअंदाज करना राजनाथ सिंह से छिपा नहीं रहा. उन्होंने इस मंशा को तुरंत भांप लिया और दस्तावेज से किनारा कर लिया.
पहलगाम हमले का ज़िक्र कर दुनिया को दिखाई हकीकत
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले की चर्चा करते हुए बताया कि कैसे लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी ग्रुप ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने 26 निर्दोष लोगों की जान ले ली, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था. उन्होंने कहा कि इस हमले में पीड़ितों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया गया, जो आतंकवाद की सोच और मंशा को साफ दर्शाता है.
ऑपरेशन सिंदूर पर क्या बोले?
रक्षा मंत्री ने इस हमले के जवाब में भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का भी ज़िक्र किया, जो 7 मई को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया. उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन सीमा पार मौजूद आतंकी ठिकानों को खत्म करने के लिए किया गया था, और भारत ने इसमें अपने ‘रक्षा के अधिकार’ का इस्तेमाल किया.
पाकिस्तान को घेरा, दोहरे रवैये पर सवाल
राजनाथ सिंह ने बिना नाम लिए पाकिस्तान को भी जमकर घेरा और कहा, “कुछ देश आतंकवाद को नीतिगत औजार की तरह इस्तेमाल करते हैं और उन्हें पनाह भी देते हैं. ऐसे दोहरे मापदंडों को अब दुनिया को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.” उन्होंने SCO सदस्य देशों से आग्रह किया कि ऐसे व्यवहार के खिलाफ एकजुट होकर कठोर कदम उठाएं.
आतंकवाद पर भारत का स्पष्ट स्टैंड
रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करता है. हमने यह साफ कर दिया है कि अब आतंक के ठिकाने सुरक्षित नहीं हैं.” उन्होंने सभी SCO देशों से अपील की कि युवाओं में कट्टरपंथ को रोकने के लिए संयुक्त प्रयास जरूरी हैं.
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