ऑपरेशन सिंदूर में मिली हार के बाद पाकिस्तान अपनी सैन्य क्षमता को तेज़ी से मजबूत करने में जुट गया है. ज़मीन से लेकर आसमान और अब समंदर तक, हर मोर्चे पर वह अपनी तैयारी को बढ़ा रहा है. इसी क्रम में पाकिस्तानी नौसेना अगले साल चीन से एक एडवांस डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी हासिल करने जा रही है, जिसे हिंद महासागर और अरब सागर में भारत के सामने तैनात किया जा सकता है. इस सौदे को लेकर भारत के रणनीतिक हलकों में चिंता बढ़ गई है, क्योंकि यह सिर्फ एक रक्षा सौदा नहीं, बल्कि चीन-पाक गठजोड़ के गहराते रिश्तों का संकेत भी है.
पाकिस्तानी नौसेना प्रमुख एडमिरल नदीद अशरफ ने पुष्टि की है कि चीन से पहली हैंगर-क्लास पनडुब्बी साल 2026 की शुरुआत में बेड़े में शामिल हो जाएगी. उन्होंने बताया कि दोनों देश मिलकर कुल आठ पनडुब्बियां तैयार कर रहे हैं. चार चीन में और चार पाकिस्तान में. इसका पूरा निर्माण कार्य 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य है. चीन और पाकिस्तान के बीच यह रक्षा सौदा करीब 5 अरब डॉलर का बताया जा रहा है, जो अब तक का सबसे बड़ा नौसैनिक सहयोग माना जा रहा है.
हैंगर-क्लास पनडुब्बी की ताकत और तकनीक
हैंगर या टाइप-039A युआन क्लास पनडुब्बियां अत्याधुनिक सेंसर, हथियार और स्टर्लिंग एयर-इंडीपेन्डेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम से लैस हैं. AIP तकनीक की मदद से यह पनडुब्बियां बिना सतह पर आए दो से तीन हफ्ते तक पानी के नीचे रह सकती हैं. पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में यह तकनीक कहीं ज्यादा आधुनिक मानी जाती है. यह पनडुब्बी कम शोर में संचालन करने में सक्षम है, जिससे इसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है.पाकिस्तान के लिए यह तकनीक हिंद महासागर में उसकी एंटी-एक्सेस/एरिया डिनायल (A2/AD) क्षमताओं को मजबूत करेगी. वहीं भारत के लिए यह एक नई सामरिक चुनौती बनकर उभर सकती है, क्योंकि अभी भारतीय नौसेना के पास AIP तकनीक वाली कोई पनडुब्बी सेवा में नहीं है.
भारत की तैयारी: प्रोजेक्ट-75 इंडिया
भारत ने अगस्त 2025 में प्रोजेक्ट-75 इंडिया के तहत जर्मनी के साथ लगभग 70,000 करोड़ रुपये की डील पर हस्ताक्षर किया है. इस परियोजना के तहत छह आधुनिक AIP तकनीक वाली पनडुब्बियां भारत में ही बनेंगी. हालांकि, इस परियोजना को 2007 में मंजूरी मिली थी, लेकिन अनुबंध में देरी के कारण अभी इसका निर्माण शुरू नहीं हुआ है. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पहली पनडुब्बी को नौसेना में शामिल होने में अभी 7-8 साल लग सकते हैं.
भारतीय नौसेना की मौजूदा क्षमता
फिलहाल भारतीय नौसेना के पास 6 फ्रांसीसी स्कॉर्पीन-क्लास (कलवरी क्लास) पनडुब्बियां, 6 पुरानी रूसी किलो-क्लास, और 4 जर्मन HDW-क्लास पनडुब्बियां हैं. इसके अलावा, दो परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां INS अरिहंत और INS अरिघाट सक्रिय सेवा में हैं, जबकि तीसरी INS अरिदमन अगले साल शामिल की जाएगी.भारत की समुद्री निगरानी और एंटी-सबमरीन क्षमता को मजबूत बनाने के लिए नौसेना के पास अमेरिकी P-8I पोसीडॉन विमान, MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर, और आधुनिक युद्धपोत हैं, जिनमें अत्याधुनिक सोनार, रडार, टॉरपीडो और रॉकेट सिस्टम लगे हैं.
पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति
पाकिस्तानी नौसेना इस समय फ्रांस की बनी तीन अगोस्टा-90B और दो पुरानी अगोस्टा-70 पनडुब्बियों का संचालन कर रही है. चीन से मिलने वाली हैंगर-क्लास पनडुब्बियों के आने के बाद पाकिस्तान की पानी के नीचे मारक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी. वहीं चीन के पास पहले से ही 50 से ज्यादा डीजल-इलेक्ट्रिक और करीब 10 परमाणु पनडुब्बियां हैं, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसकी उपस्थिति को मजबूत बनाती हैं.
भारतीय विशेषज्ञों की चिंता
एक वरिष्ठ भारतीय सैन्य अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि “चीन से पाकिस्तान को मिलने वाली पनडुब्बियां उसके नौसैनिक ढांचे को आधुनिक बना देंगी और यह भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए चुनौतीपूर्ण होगा. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने देखा कि चीन किस तरह पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा था. भारत को इस स्थिति से निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीति तैयार करनी होगी.”
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