पाकिस्तान के सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की राजनीतिक ताकत देश में लगातार बढ़ती जा रही है. हाल ही में उन्हें फील्ड मार्शल का रैंक प्रदान किया गया, जिससे उनकी सैन्य और राजनीतिक ताकत को और भी मजबूती मिली है. लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि मुनीर और पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं. दोनों के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर असहमति उत्पन्न हो चुकी है, जो आने वाले दिनों में पाकिस्तान की राजनीति पर गहरा असर डाल सकती है.
मुनीर और जरदारी के बीच विवाद
आसिम मुनीर पाकिस्तान के दूसरे फील्ड मार्शल हैं, इससे पहले जनरल अयूब खान को यह पद मिला था. अब मुनीर और राष्ट्रपति जरदारी के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, ये असहमति सीनियर अधिकारियों की पोस्टिंग और विदेश नीति जैसे मुद्दों पर हैं. कहा जा रहा है कि मुनीर राष्ट्रपति जरदारी को हटाने के प्रयास में हैं, हालांकि इस प्रकार के आरोपों का कोई सार्वजनिक प्रमाण अभी तक सामने नहीं आया है.
व्हाइट हाउस में मुलाकात और मुनीर का बढ़ा आत्मविश्वास
फील्ड मार्शल मुनीर हाल ही में व्हाइट हाउस गए थे, जहां उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद उनकी राजनीतिक और सैन्य फैसलों में बढ़ती दखलअंदाजी ने जरदारी और उनकी सरकार के भीतर असंतोष को जन्म दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुनीर अब सरकारी मामलों में हस्तक्षेप करने लगे हैं, जिससे राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है. उनके इस आत्मविश्वास का असर पाकिस्तान की राजनीति में महसूस किया जा सकता है.
बिलावल भुट्टो का बयान और सेना का गुस्सा
आसिफ अली जरदारी के बेटे और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो के हालिया बयान ने स्थिति को और जटिल बना दिया है. उन्होंने हाफिज सईद और मसूद अजहर को भारत के हवाले करने की बात की थी, जो पाकिस्तान की सेना और जिहादी समूहों के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा है. इस बयान के बाद सेना में नाराजगी फैल गई है, और अफवाहों के अनुसार, जिहादी समूह भी इससे खफा हैं. सेना और सरकार के बीच तनाव को और बढ़ा देने वाला यह बयान भविष्य में और मुश्किलें उत्पन्न कर सकता है.
क्या पाकिस्तान में कोई बड़ा बदलाव आ सकता है?
इन घटनाओं से यह सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान में आने वाले दिनों में सत्ता के स्तर पर बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. फील्ड मार्शल मुनीर की बढ़ती ताकत और जरदारी के साथ उनकी असहमति, देश की राजनीति में एक नई दिशा में मोड़ ला सकती है. फिलहाल, यह देखना होगा कि पाकिस्तान के राजनीतिक घटनाक्रम किस दिशा में विकसित होते हैं और क्या मुनीर और जरदारी के बीच बढ़ती दरार किसी बड़े राजनीतिक संकट को जन्म देती है.
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