पाकिस्तान में एक बार फिर तख्तापलट की आशंका गहराती जा रही है, और इस बार यह अटकलें पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को लेकर हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुनीर राष्ट्रपति पद की ओर भी बढ़ सकते हैं. पाकिस्तान में सैन्य शासन कोई नई बात नहीं है, क्योंकि देश के स्वतंत्रता के बाद से करीब आधे समय तक सेना ने राजनीतिक नियंत्रण संभाला है. लेकिन अब जो घटनाक्रम सामने आ रहे हैं, वे मुनीर की राजनीति में बढ़ती सक्रियता को लेकर कई सवाल खड़े कर रहे हैं.
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने जिस तरह से सत्ता के अहम निर्णयों में अपनी भूमिका बढ़ाई है, वह उनके राजनीतिक दखल को लेकर चर्चाओं को हवा दे रहा है. पिछले महीने ही उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति से मुलाकात की थी, जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, शहबाज शरीफ, अब तक डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात नहीं कर पाए हैं. इस तरह के विदेश दौरे और प्रमुख मुलाकातें मुनीर के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती हैं.
राजनीतिक नेतृत्व के आगे आना जनरल मुनीर का बढ़ता प्रभाव
अब जनरल मुनीर श्रीलंका और इंडोनेशिया का दौरा करने जा रहे हैं, यह भी बिना प्रधानमंत्री के. ऐसी स्थिति में सवाल उठता है कि क्या वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति पद की ओर भी बढ़ने की योजना बना रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान, जो अब जेल में हैं, ने यह भी कहा है कि यदि उन्हें कुछ होता है, तो जनरल मुनीर को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
राष्ट्रपति पद की ओर बढ़ते कदम?
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पद छोड़ने की संभावनाओं के बीच यह अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या जनरल मुनीर इस पद को संभालने के इच्छुक हैं. हालांकि, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इन अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि जनरल मुनीर की राष्ट्रपति बनने की कोई योजना नहीं है. लेकिन राजनीतिक और सैन्य हलकों में इस बयान को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है, खासकर तब जब यह माना जाता है कि मुनीर ने खुद को फील्ड मार्शल बनाने के लिए दबाव डाला था.
फील्ड मार्शल बनने की राह पर मुनीर
पाकिस्तान के इतिहास में जनरल मुनीर पाकिस्तान के दूसरे सैन्य प्रमुख हैं, जिन्होंने फील्ड मार्शल का पद प्राप्त किया है. इससे पहले यह पद जनरल अयूब खान के पास था, जिन्होंने देश में सैन्य तानाशाही का सिलसिला शुरू किया था. अब सवाल उठता है कि क्या मुनीर भी अयूब खान की तरह पाकिस्तान में सैन्य शासन स्थापित करने की योजना बना रहे हैं. हालांकि, मुनीर ने इस पर अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके बढ़ते प्रभाव को लेकर चर्चा तो बनी ही हुई है.
जनरल मुनीर के सैन्य पदों में बढ़ोतरी
जनरल असीम मुनीर ने पाकिस्तान की सेना के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है – वे आईएसआई (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) के प्रमुख, मिलिट्री इंटेलिजेंस के प्रमुख, और अब सेना के सर्वोच्च पद पर हैं. उनकी विदेश यात्राएं और रणनीतिक फैसले यह संकेत दे रहे हैं कि पाकिस्तान में असल में फैसले लेने की शक्ति अब सेना के हाथों में केंद्रित हो गई है. यह तथ्य कि मुनीर अकेले विदेश यात्रा पर जा रहे हैं और प्रधानमंत्री से भी महत्वपूर्ण मुलाकातें कर रहे हैं, यह उनके बढ़ते दबदबे को दर्शाता है.
भारत के लिए बढ़ती चिंताएं
यह भी महत्वपूर्ण है कि मुनीर पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व के रूप में भारत के लिए एक चिंता का कारण बन सकते हैं. उनके नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना का प्रभाव और भी बढ़ सकता है, जो भारत के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. जनरल मुनीर को कश्मीर पर बयान देने और पाकिस्तान के हित में भड़काऊ भाषण देने के लिए जाना जाता है. कश्मीर को लेकर उनके दृष्टिकोण को भारत के लिए गंभीर चुनौती माना जा सकता है, खासकर तब जब उनका रुख पाकिस्तान के सैन्य प्रभुत्व को और मजबूत करने के पक्ष में हो.
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