अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में नई हलचल तब देखने को मिली जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर वॉशिंगटन पहुंचे. यह उनकी दो महीने के भीतर दूसरी अमेरिका यात्रा है, और इस दौरान वे अमेरिकी सैन्य नेतृत्व से लेकर राजनीतिक हलकों तक सक्रिय नजर आ रहे हैं. पाक सेना की ओर से दावा किया गया है कि इस दौरे का उद्देश्य रक्षा और व्यापारिक सहयोग को मजबूती देना है, लेकिन जनरल मुनीर ने अपने बयानों में लगातार भारत को निशाने पर रखा है.
वॉशिंगटन में आयोजित बैठकों और चर्चाओं में जनरल मुनीर ने भारत के खिलाफ तीखे आरोप लगाए. उनका कहना है कि भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन दे रही है और देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी कार्रवाइयां न केवल पाकिस्तान के लिए बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए खतरा हैं.
आतंकवाद और कश्मीर मुद्दा फिर केंद्र में
मुनीर ने अपने अमेरिकी दौरे में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया. उन्होंने भारत के इस रुख पर आपत्ति जताई कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है. उनके अनुसार, यह एक अंतरराष्ट्रीय विवाद है जिसे संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार हल किया जाना चाहिए. उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना के कथन को दोहराते हुए कश्मीर को पाकिस्तान की “शिरा की नस” बताया और कहा कि यह दृष्टिकोण आज भी अपरिवर्तित है.
ट्रंप सरकार से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश
असीम मुनीर की यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब पाकिस्तान अमेरिका से अधिक सहयोग की उम्मीद कर रहा है, खासकर ट्रंप प्रशासन के साथ. वे ट्रंप की नीतियों की खुलकर सराहना कर रहे हैं और उनके नेतृत्व वाले अमेरिका के साथ रक्षा संबंधों को गहरा करने की कोशिश में हैं.
अमेरिकी प्रतिक्रिया और संकेत
अमेरिकी सेना के प्रवक्ता जोसेफ होल्सटेड ने भी पाकिस्तान के साथ सैन्य साझेदारी को दक्षिण एशिया में परमाणु सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अहम बताया है. अमेरिका की ओर से यह भी संकेत मिले हैं कि वह पाकिस्तान के साथ रक्षा सहयोग को और आगे बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठा सकता है. इस तरह, जनरल असीम मुनीर का यह दौरा केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं बल्कि एक रणनीतिक प्रयास है, जिसमें पाकिस्तान अपने हितों के लिए अमेरिका का समर्थन हासिल करना चाहता है, भले ही इसके लिए भारत के खिलाफ तीखी बयानबाजी ही क्यों न करनी पड़े.
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