भारत की बढ़ी ताकत, रूस से मिली 250 करोड़ रुपये से अधिक की नई एयर डिफेंस मिसाइलें

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. ऐसे माहौल में भारतीय सेना अपनी हवाई सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत करने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रही है.

    Pahalgam Attack Indian buy 250 crore missile from russia
    Image Source: ANI

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. ऐसे माहौल में भारतीय सेना अपनी हवाई सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत करने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रही है. सेना अब मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम (VSHORADS-NG) की एक नई खेप खरीदने जा रही है, जो दुश्मन के विमानों, ड्रोन और हेलीकॉप्टरों को 6 किलोमीटर तक की दूरी पर ध्वस्त करने में सक्षम होगी.

    रक्षा मंत्रालय ने दी नई मिसाइल सिस्टम खरीद को मंजूरी


    रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को 48 लॉन्चर, 48 नाइट-विज़न साइट, 85 मिसाइलें, और एक मिसाइल परीक्षण स्टेशन खरीदने के लिए विक्रेताओं को प्रस्ताव जमा करने के लिए (RFP) आमंत्रित किया है. विक्रेताओं को 20 मई तक अपनी बोलियां सौंपने को कहा गया है. यह मिसाइल प्रणाली इंफ्रारेड-होमिंग तकनीक पर आधारित है और फायर-एंड-फॉरगेट क्षमताओं से लैस है, जिससे यह गतिशील और तेजी से बदलते हवाई खतरों से प्रभावी ढंग से निपट सकती है.

    अत्याधुनिक क्षमताओं से लैस होगी नई प्रणाली


    रक्षा मंत्रालय के दस्तावेजों के अनुसार, यह प्रणाली सभी मौसमों में संचालन योग्य होगी, इसमें एंटी-जैमिंग टेक्नोलॉजी, पैरा-ड्रॉपिंग क्षमता, और 4500 मीटर की ऊंचाई तक काम करने की क्षमता होगी. इसे मैदानी, रेगिस्तानी और पर्वतीय क्षेत्रों सहित किसी भी भूभाग में इस्तेमाल किया जा सकेगा.

    स्वदेशी प्रणाली अभी तैयार नहीं, इमरजेंसी में विदेशी विकल्प


    हालांकि, DRDO द्वारा विकसित की जा रही स्वदेशी VSHORADS प्रणाली अभी भी परीक्षण और उत्पादन के दौर में है. फरवरी 2025 में इसका नवीनतम परीक्षण किया गया था, लेकिन यह अभी सेना के इस्तेमाल के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है. इसीलिए चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के दौरान, भारतीय सेना ने रूसी इग्ला-एस प्रणाली को सीमित मात्रा में आपातकालीन प्रावधानों के तहत शामिल किया था. इसका उत्पादन भारत में अडानी डिफेंस द्वारा किया गया. गौरतलब है कि सेना के पास पहले से ही 1989 से पुरानी इग्ला-1एम प्रणाली मौजूद है, लेकिन इग्ला-एस उसका बेहतर और आधुनिक संस्करण है.

    पुरानी योजना में मिली थी मंजूरी, अब नया मोड़


    भारत ने वर्ष 2009 में ही 5,175 VSHORADS और इससे जुड़े उपकरणों की खरीद का प्रस्ताव रखा था, लेकिन इसमें कई वर्षों से प्रगति नहीं हो पाई थी. इस योजना के तहत "ऑफ-द-शेल्फ" खरीद के बाद भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कर भविष्य में निर्माण की योजना थी. जनवरी 2023 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने DRDO द्वारा विकसित VSHORADS सिस्टम की खरीद के लिए ₹1,920 करोड़ की मंजूरी दी थी, जिससे घरेलू रक्षा निर्माण को बढ़ावा मिलने की उम्मीद जताई गई थी.

    राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि, सेना तैयार कर रही मजबूत कवच


    पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनावपूर्ण हालात और आतंकी घटनाओं के मद्देनज़र भारत अब अपनी वायु रक्षा प्रणाली को और सुदृढ़ कर रहा है. नई मिसाइल प्रणाली सेना को बेहद कम दूरी तक हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करेगी और दुश्मनों की किसी भी हवाई चाल का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम होगी.

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