'ऑपरेशन सिंदूर' अभी खत्म नहीं हुआ, जैश के ठिकानों पर घातक हथियारों का इस्तेमाल... बहावलपुर को ही क्यों चुना?

    भारतीय सेना ने पाकिस्तान की धरती पर मौजूद आतंकी संगठनों, खासकर जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर स्थित ठिकानों को पूरी ताकत से निशाना बनाया और तबाह कर दिया.

    Operation Sindoor not over Jaish hideouts Bahawalpur
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    नई दिल्लीः आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की दिशा में भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के ज़रिए एक बड़ा और सटीक संदेश दिया है — अब सहनशीलता की सीमा पार नहीं होगी. इस सैन्य अभियान में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की धरती पर मौजूद आतंकी संगठनों, खासकर जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर स्थित ठिकानों को पूरी ताकत से निशाना बनाया और तबाह कर दिया.

    आतंक के खिलाफ नई सोच, नया तरीका

    सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने अत्याधुनिक और सबसे घातक हथियारों का इस्तेमाल किया, जिससे आतंकियों की कमर टूट गई. खास बात यह है कि यह केवल एक हमला नहीं था — यह एक रणनीतिक संदेश था. बहावलपुर जैश का गढ़ रहा है और इसे आईएसआई का सीधा समर्थन प्राप्त है. ऐसे में यहां हमला कर भारत ने साफ कर दिया कि अब आतंक की 'प्रॉक्सी वॉर' बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

    सूत्रों के अनुसार, “ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, यह एक न्यू नॉर्मल की शुरुआत है. हमने सिर्फ फायरिंग रोकी है, लेकिन हम सीजफायर शब्द का इस्तेमाल नहीं कर रहे.”

    तेज जवाब, ठोस रणनीति

    7 मई को जब यह ऑपरेशन अपने चरम पर था, भारत ने पाकिस्तान के DGMO को स्पष्ट रूप से संदेश दिया — “बात करनी है तो करें, अब एकतरफा कोई रियायत नहीं मिलेगी.” पाकिस्तान, जो पहले अड़ियल रुख अपनाए बैठा था, भारत की सर्जिकल और तकनीकी शक्ति से हिल गया. नतीजतन, 10 मई को खुद पाकिस्तान की ओर से बातचीत की पहल की गई.

    इस दौरान भारत की रणनीति बिल्कुल स्पष्ट रही: "अगर पाकिस्तान एक गोली चलाएगा, तो भारत दस गुना ताकत से जवाब देगा." इसी रुख के चलते पाकिस्तान को सीजफायर की अपील करनी पड़ी, और तब जाकर सीमा पर शांति लौटी.

    कूटनीति के मैदान में भी सटीक चाल

    भारत ने इस बार सिर्फ सैन्य मोर्चे पर ही नहीं, कूटनीति के स्तर पर भी पूरी तैयारी से काम किया. पहले अमेरिका को स्थिति से अवगत कराया गया, फिर विदेश मंत्री जयशंकर ने 1 मई को अमेरिकी विदेश मंत्री से स्पष्ट कर दिया कि भारत आतंक के अड्डों को नहीं छोड़ेगा. इसके बाद ऑपरेशन हुआ और फिर अमेरिकी उपराष्ट्रपति से बात में प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दे दिया — “अगर उधर से कुछ हुआ, तो भारत की प्रतिक्रिया कई गुना भारी होगी.”

    चीन का रुख? कोई नई बात नहीं

    जब बात पाकिस्तान की होती है, तो चीन का नाम आना भी स्वाभाविक है. लेकिन, सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत को चीन के रवैये से कोई आश्चर्य नहीं हुआ. “चीन और पाकिस्तान का गठजोड़ अब कोई रहस्य नहीं रहा. भारत को पता है कि चीन हर स्तर पर पाकिस्तान का समर्थन करता है.”

    पाकिस्तान बैकफुट पर

    अब जब पाकिस्तान की ओर से सीजफायर की पेशकश आई और भारत ने इसे सिर्फ DGMO स्तर तक सीमित रखा, तो यह स्पष्ट हो गया कि भारत अब सिर्फ अपनी शर्तों पर ही बात करेगा. साथ ही यह भी कहा गया कि जब तक पाकिस्तान अपने जमीन से आतंकियों को नहीं हटाएगा, तब तक किसी अन्य मुद्दे पर कोई बातचीत संभव नहीं है.

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