Operation Sindoor: भारतीय सेना और विदेश मंत्रालय ने सोमवार को “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस ब्रीफिंग में भारतीय सेना की दो महिला अधिकारी—लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह—ने हिस्सा लिया, जो सेना में धर्म, लिंग और कर्तव्य के समन्वय का प्रतीक बनकर उभरीं. प्रेस वार्ता में सबसे पहले विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ी जानकारी साझा की और फिर सैन्य अधिकारियों ने ऑपरेशन के ज़मीनी पहलुओं का खुलासा किया.
“आतंक के संरक्षकों को नहीं छोड़ेंगे”
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकियों ने 25 भारतीय और 1 नेपाली नागरिक को बेरहमी से मौत के घाट उतारा. हमलावरों ने न सिर्फ मासूमों को गोली मारी, बल्कि उनके परिजनों को जानबूझकर इस त्रासदी का साक्षी बनाया ताकि वे भारत लौटकर ‘संदेश’ पहुंचाएं. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह हमला जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के प्रयासों को विफल करने के उद्देश्य से किया गया था और इसमें पाकिस्तान का आतंकियों से सीधा संपर्क उजागर हुआ है.
यूएन तक भी पहुंचा मामला
मिस्री ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने भी इस हमले की निंदा की थी, लेकिन पाकिस्तान की ओर से TRF (The Resistance Front) का जिक्र हटवाने के प्रयासों पर ध्यान देना जरूरी है. भारत ने इस वैश्विक मंच पर भी स्पष्ट किया है कि वह आतंक के खिलाफ अपने आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग करेगा.
महिला अधिकारियों ने खोले मिशन के राज
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी ने मीडिया को बताया कि "ऑपरेशन सिंदूर" सुनियोजित और सटीक सैन्य कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य केवल आतंकी ढांचों को खत्म करना था, न कि किसी भी नागरिक या सैन्य ठिकाने को नुकसान पहुंचाना. उन्होंने बताया कि इस मिशन में पाकिस्तान और पीओके में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को पूरी तरह ध्वस्त किया गया. इस दौरान उन्होंने बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय और मरकज़ सुभान अल्लाह जैसे अड्डों को निशाना बनाए जाने के वीडियो फुटेज भी साझा किए.
विंग कमांडर व्योमिका सिंह: नागरिक जीवन बचाना प्राथमिकता
विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने कहा कि भारत ने यह ऑपरेशन न केवल आतंकियों को खत्म करने के लिए किया, बल्कि नागरिक जीवन और संरचना को कोई क्षति न हो, इसका पूरा ध्यान रखा गया. उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई पहलगाम हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से की गई थी, और इसमें पूरा सैन्य तंत्र बेहद जिम्मेदारी के साथ जुटा.
भारत की कूटनीति और सैन्य नीति अब समन्वित और सख्त
“ऑपरेशन सिंदूर” केवल एक जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक स्पष्ट नीति संकेत है कि भारत अब न केवल अपने नागरिकों की रक्षा करेगा, बल्कि सीमा पार से आए खतरे को वहीं नष्ट भी करेगा. सेना की महिला अधिकारियों की मौजूदगी इस बात की प्रतीक बन गई है कि भारत की सुरक्षा अब केवल बंदूक पर नहीं, बल्कि समावेशी और पेशेवर दृष्टिकोण पर भी टिकी है.
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