ऑपरेशन राइजिंग लायन: ईरान के 4 परमाणु ठिकानों पर इजरायल का जोरदार वार, पर हर ठिकाना नहीं ढहा पाया

    इजरायली वायुसेना ने ईरान की प्रमुख परमाणु और सैन्य ठिकानों पर एक साथ कई मोर्चों से हमला किया. करीब 330 से ज्यादा एडवांस हथियारों का इस्तेमाल कर 100 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाया गया.

    Operation Rising Lion Israel attack on Iran 4 nuclear sites
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    मध्य पूर्व एक बार फिर युद्ध की आग में झुलस रहा है. इस बार इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई में वो ताकत दिखाई, जिसने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया. 12-13 जून की रात इजरायली वायुसेना ने ईरान की प्रमुख परमाणु और सैन्य ठिकानों पर एक साथ कई मोर्चों से हमला किया. करीब 330 से ज्यादा एडवांस हथियारों का इस्तेमाल कर 100 से अधिक ठिकानों को निशाना बनाया गया.

    इस हमले का उद्देश्य था – ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर क्षति पहुंचाना. वहीं ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई में करीब 100 मिसाइलें दागीं, लेकिन इजरायल की आयरन डोम प्रणाली और अमेरिका की रणनीतिक मदद से ज़्यादातर मिसाइलों को रास्ते में ही नष्ट कर दिया गया. हालांकि इजरायल को भी कुछ अहम ठिकानों पर नुकसान उठाना पड़ा.

    किन-किन परमाणु साइट्स पर गिरा इजरायली हमला?

    1. नतांज यूरेनियम एनरिचमेंट फैसिलिटी

    • यह ईरान का सबसे संवेदनशील और बड़ा यूरेनियम संवर्धन केंद्र है.
    • यहां 14,000 से अधिक सेंट्रीफ्यूज 60% तक यूरेनियम संवर्धन करते हैं.
    • इजरायल ने इसके ऊपरी ढांचे और बिजली आपूर्ति पर हमला किया, जिससे संवर्धन प्रक्रिया प्रभावित हुई.

    2. फोर्डो यूरेनियम एनरिचमेंट फैसिलिटी

    • यह पहाड़ी के अंदर बना सुरक्षित केंद्र है, जहां 2,200 सेंट्रीफ्यूज लगे हैं.
    • हमले की पुष्टि हुई, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ.

    3. इस्फहान न्यूक्लियर साइट

    • यह सुविधा यूरेनियम को हथियार-योग्य सामग्री में बदलती है.
    • इसपर हमले की पुष्टि दोनों पक्षों ने की है, हालांकि विस्तृत क्षति का विवरण नहीं है.

    4. परचिन न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर

    • यहां भी हमले की जानकारी है और आंतरिक नुकसान की खबरें सामने आई हैं.

    कौन सी परमाणु साइटें बच गईं?

    बुशहर परमाणु ऊर्जा संयंत्र

    • ईरान का एकमात्र सक्रिय बिजली उत्पादन संयंत्र, जो रूसी सहयोग से चलता है.
    • यह पूरी तरह सुरक्षित रहा, IAEA ने भी इसकी पुष्टि की.

    अराक भारी पानी रिएक्टर

    • प्लूटोनियम उत्पादन में सक्षम यह संयंत्र 2015 के समझौते के बाद दोबारा डिज़ाइन किया गया.
    • ईरानी अधिकारियों ने इसे हमले से बचाए जाने की पुष्टि की है.

    तेहरान रिसर्च रिएक्टर

    • इस साइट पर किसी हमले की जानकारी नहीं है, इसलिए इसे भी फिलहाल सुरक्षित माना जा रहा है.

    ईरान की परमाणु जाल: खतरे अभी बाकी हैं

    रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान में लगभग 15 परमाणु साइट्स हैं, जिनमें कुछ सीधे परमाणु हथियारों के निर्माण से जुड़ी हैं, जबकि कई साइटें खनन, शोध और अन्य सहायक गतिविधियों से संबंधित हैं. इजरायल ने पहले चरण में उन्हीं ठिकानों को निशाना बनाया जिन्हें वो तत्काल खतरा मानता है.

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