Operation Midnight Hammer: मध्य-पूर्व में जारी तनातनी अब खुली जंग में तब्दील होती जा रही है. शनिवार रात अमेरिका ने ईरान पर जो हमला बोला, उसने ना सिर्फ सैन्य समीकरण बदल दिए, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' नाम के इस गुप्त हवाई हमले में अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान को निशाना बनाया.
सिर्फ 25 मिनट में हुआ पूरा मिशन
व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ज्वाइंट चीफ़्स ऑफ़ स्टाफ़ के चेयरमैन जनरल डैन केन ने बताया कि इस अभियान को महज़ 25 मिनट में अंजाम दिया गया. ऑपरेशन में 125 से अधिक अमेरिकी एयरक्राफ्ट शामिल थे. मिशन के दौरान सात B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने 30,000-पाउंड के 14 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बम फोर्डो और नतांज पर गिराए, जबकि इस्फ़हान पर दो दर्जन से ज्यादा टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइलें दागी गईं.
18 घंटे की तैयारी, मिनटों में निशाना
जनरल केन के मुताबिक, B-2 बॉम्बर्स ने मिज़ूरी स्थित एयरबेस से उड़ान भरी और पूरा मिशन 18 घंटे लंबा रहा. ईरानी समयानुसार सुबह 5 बजे टॉमहॉक मिसाइलों ने इस्फ़हान को निशाना बनाया, जबकि 6:40 से 7:05 के बीच बाकी दोनों ठिकानों पर बमबारी की गई. अमेरिकी एयरक्राफ्ट बिना किसी नुकसान के 7:05 बजे तक ईरानी हवाई क्षेत्र से बाहर निकल चुके थे.
ईरान की 'परमाणु क्षमता' खत्म होने का दावा
अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने इस ऑपरेशन को पूर्ण सफलता बताया और दावा किया कि ईरान की परमाणु प्रोग्राम की रीढ़ टूट चुकी है. वहीं, जनरल केन ने कहा कि ईरान की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें अमेरिकी एयरक्राफ्ट को देख भी नहीं पाईं.
ईरान की प्रतिक्रिया और बढ़ता खतरा
ईरान की ओर से इस हमले पर अब तक कोई विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह तय है कि जवाबी कार्रवाई होगी. अब तक के आंकड़ों के अनुसार, इजराइल-ईरान संघर्ष में कुल 430 ईरानी नागरिक और 24 इजराइली मारे जा चुके हैं.
तीसरे विश्व युद्ध की आहट?
इजराइल पहले से ही ऑपरेशन राइज़िंग लायन के तहत ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम पर हमले कर रहा था. अब अमेरिका के खुले हस्तक्षेप ने इस लड़ाई को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है. जानकार मानते हैं कि यह सिर्फ शुरुआत है और अगर कूटनीतिक समाधान नहीं निकला, तो दुनिया को एक और बड़े युद्ध की कीमत चुकानी पड़ सकती है.
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