Iran-Israel Conflict: ईरान-इज़रायल संघर्ष में अमेरिका के सीधा शामिल होने के बाद हालात दिन-ब-दिन विस्फोटक होते जा रहे हैं. अब ईरान ने एक ऐसा रणनीतिक कदम उठाने की तैयारी कर ली है, जो बिना किसी मिसाइल के भी पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को झकझोर सकता है और वो है होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का फैसला.
ईरानी संसद इस प्रस्ताव को पहले ही मंज़ूरी दे चुकी है. अब सबकी नजरें ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई पर हैं, जो अंतिम निर्णय लेंगे. यदि यह फैसला लागू हुआ, तो इसका असर सिर्फ खाड़ी नहीं बल्कि भारत जैसे ऊर्जा-निर्भर देशों पर भी पड़ेगा.
क्या है होर्मुज जलडमरूमध्य और क्यों है इतना अहम?
होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) विश्व के सबसे संवेदनशील तेल परिवहन मार्गों में से एक है. यह 39 किलोमीटर चौड़ा जलमार्ग फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी से जोड़ता है. हर दिन लगभग 2.1 करोड़ बैरल तेल दुनिया की कुल समुद्री तेल सप्लाई का 20% यहीं से होकर गुजरता है. यह रूट न सिर्फ तेल बल्कि प्राकृतिक गैस (LNG) और अन्य व्यापारिक सामानों के लिए भी बेहद अहम है, खासकर भारत, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए अहम है.
भारत पर भी पड़ेगा असर
भारत अपनी कुल ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा खाड़ी देशों से आयात करता है. भारत का 50% कच्चा तेल और LNG का 40% इसी रूट से आता है. भारत, कतर और UAE जैसे देशों से बड़ी मात्रा में गैस खरीदता है. अगर ये मार्ग बंद हुआ, तो भारत को तेल और गैस महंगे दामों पर वैकल्पिक रास्तों से मंगवाना पड़ेगा. इससे पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है, और आम जनता की जेब पर सीधा असर पड़ेगा.
निर्यात पर भी बढ़ेगा असर
सिर्फ आयात ही नहीं, भारत का मिडिल ईस्ट को एक्सपोर्ट होने वाला सामान भी इसी मार्ग से होकर जाता है. अगर होर्मुज बंद हुआ, तो सामान दूसरे रूट से भेजना पड़ेगा, जिससे लॉजिस्टिक्स कॉस्ट और एक्सपोर्ट टाइम दोनों में बढ़ोतरी होगी.
अमेरिका का क्या होगा रुख?
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ईरान ने वाकई इस रूट को ब्लॉक किया, तो अमेरिका इसे आर्थिक युद्ध की तरह लेगा और इसकी प्रतिक्रिया सैन्य हो सकती है. यह कदम मध्य पूर्व को और अधिक अस्थिर कर सकता है.
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