OP Rajbhar: भारत सरकार द्वारा सिंधु जल समझौते को रद्द किए जाने के फैसले के बाद देश में सियासी पारा चढ़ गया है. इस मुद्दे पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की प्रतिक्रिया ने विवाद को और हवा दे दी है. वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और मदनी के बयान को देशहित के खिलाफ बताया है.
"अगर दर्द हो रहा है, तो पाकिस्तान जाएं"
ओम प्रकाश राजभर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ लिए गए कदम भारत सरकार की नीति का हिस्सा हैं, और इस पर सवाल उठाना सरासर गलत है. उन्होंने कहा, अगर किसी को इस फैसले से दिक्कत है तो उन्हें पाकिस्तान जाकर वहां के आतंकवादियों को समझाना चाहिए कि भारत क्यों यह कदम उठा रहा है. अभी तो सिर्फ पानी रोका गया है, कल को खून भी निकाल लिया जाएगा.”
सिंधु जल समझौते पर केंद्र का बड़ा फैसला
हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाते हुए सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया. यह फैसला भारत की कूटनीतिक नीति का हिस्सा है, जिससे पड़ोसी देश पर दबाव बनाया जा सके. सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि अब राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
मौलाना अरशद मदनी की प्रतिक्रिया
इस फैसले पर मौलाना मदनी ने कहा था, नदियां सदियों से बह रही हैं. किसी को क्या हक है उनका पानी रोकने का? यह देश के लिए अच्छा नहीं है. नफरत नहीं, मोहब्बत की नीति होनी चाहिए. उनका यह बयान सामने आते ही राजनीतिक हलकों में उबाल आ गया. बीजेपी ने भी जताई आपत्ति भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने मौलाना मदनी के बयान की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा, पाकिस्तान खून-खराबा करे और हम उसका पानी भी न रोकें? यह कैसी सोच है? इस तरह के बयानों से देश की जनता को गुमराह किया जा रहा है.
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