नेपीता/नई दिल्ली: दक्षिण एशिया में आतंकवाद की रणनीति बदल रही है. पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने अब म्यांमार में अपनी गतिविधियों का विस्तार कर लिया है, जिससे भारत की पूर्वी सीमा पर एक नया सुरक्षा संकट उत्पन्न हो गया है. हालिया रिपोर्टों के अनुसार, यह आतंकवादी संगठन म्यांमार की अस्थिरता का लाभ उठाकर स्थानीय मुस्लिम युवाओं, विशेषकर रोहिंग्या समुदाय को कट्टरपंथ की ओर धकेलने की कोशिश में लगा है.
म्यांमार में JeM की उपस्थिति की पुष्टि
खुफिया सूत्रों और Resonant News की विशेष जांच में ऐसे कम्युनिकेशन इंटरसेप्ट और दृश्य साक्ष्य सामने आए हैं, जो म्यांमार में JeM की सक्रियता को दर्शाते हैं. एक कथित संचार में यह दावा किया गया है कि एक म्यांमारी नागरिक, जिसे ‘मुजाहिद’ कहा गया, ने पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित JeM ट्रेनिंग सेंटर से सैन्य और जिहादी प्रशिक्षण प्राप्त किया और अब वह म्यांमार में एक स्थानीय अमीर के अधीन लौटकर "क्रांतिकारी युद्ध" छेड़ने को तैयार है.
इसी संदेश में यह भी उल्लेख है कि लगभग ₹42 लाख (US$50,000) की आर्थिक सहायता JeM द्वारा इस नेटवर्क को दी गई है.
कट्टरपंथी नेटवर्क में युवाओं की भूमिका
विश्लेषकों का मानना है कि JeM की म्यांमार में रुचि महज रणनीतिक नहीं, बल्कि जनसांख्यिकीय लक्ष्यों से भी जुड़ी है. रोहिंग्या मुस्लिमों की सामाजिक-राजनीतिक हाशियागिरी और हिंसक दमन ने उन्हें वैचारिक रूप से अस्थिर और असंतुष्ट बना दिया है, जो कट्टरपंथी संगठनों के लिए आदर्श भर्ती मंच है.
इस संदर्भ में JeM, लश्कर-ए-तैयबा और अल-कायदा जैसे समूहों के बीच सहयोगात्मक नेटवर्किंग की आशंका भी जताई जा रही है. यह स्थिति भारत ही नहीं, म्यांमार और बांग्लादेश के लिए भी सुरक्षा का साझा खतरा बन सकती है.
भारत के लिए रणनीतिक चुनौती
भारत-म्यांमार सीमा, जो लगभग 1,640 किमी लंबी है, बड़ी हद तक खुली और कठिन भूगोल वाली है. कई हिस्सों में पारंपरिक घुसपैठ रुकावट रहित है, और यह क्षेत्र पहले से ही पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादी समूहों का गढ़ रहा है.
यदि JeM यहां स्थायी नेटवर्क स्थापित कर पाता है, तो:
JeM की भारत-विरोधी रणनीति
यह संगठन पहले भी भारत में उच्च-प्रोफाइल हमलों को अंजाम दे चुका है:
इन हमलों में पाकिस्तान की Inter-Services Intelligence (ISI) की भूमिका और JeM को दी जाने वाली संगठित सहायता अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उजागर हो चुकी है.
अंतरराष्ट्रीय और कूटनीतिक आयाम
JeM की म्यांमार में उपस्थिति न केवल भारत के लिए चिंता का विषय है, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता, ASEAN सुरक्षा ढांचे और Indo-Pacific रणनीति को भी प्रभावित कर सकती है.
विशेषज्ञों के अनुसार, यह भारत के लिए एक संकेत है कि आंतरिक सुरक्षा को अब केवल पश्चिमी सीमाओं तक सीमित नहीं समझा जा सकता.
भारत को क्या करना चाहिए?
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