इतरा रहा 'मुल्ला मुनीर', फील्ड मार्शल की खुमारी में कर रहा अनर्गल प्रलाप; जानें अब क्या कहा?

    पाकिस्तान और भारत के बीच हालिया तनावपूर्ण दौर से गुजरने के बाद देश के शीर्ष सैन्य जनरलों ने पहली औपचारिक बैठक में एकजुट होकर स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी ताकत या धमकी उन्हें विवश नहीं कर सकती.

    No one can force pakistan asim munir remark after became field marshal
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    पाकिस्तान और भारत के बीच हालिया तनावपूर्ण दौर से गुजरने के बाद देश के शीर्ष सैन्य जनरलों ने पहली औपचारिक बैठक में एकजुट होकर स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी ताकत या धमकी उन्हें विवश नहीं कर सकती. जनरल मुख्यालय में बृहस्पतिवार को फील्ड मार्शल असीम मुनीर की अध्यक्षता में आयोजित 270वें कोर कमांडर सम्मेलन ने देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा की मौजूदा परिस्थितियों का समग्र आकलन किया और राष्ट्रहित के लिए सभी जरूरी कदम उठाने की प्रतिज्ञा दोहराई.

    भारत–पाक युद्धविराम के बाद समीक्षा

    पाकिस्तानी सेना ने बताया कि यह सम्मेलन भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच चार दिनों तक चले सघन सैन्य संघर्ष के लगभग डेढ़ सप्ताह बाद आयोजित किया गया, जब दोनों पक्षों ने हथियार बंदी पर सहमति जताई थी. सम्मेलन में इस बात पर जोर दिया गया कि किसी भी प्रकार के बल प्रयोग या धमकी के दबाव में पाकिस्तान अपनी संप्रभुता का उल्लंघन नहीं होने देगा.

    रणनीतिक संयम और नैतिक अधिकार

    भारतीय वायुसेना और थलसेना द्वारा पाकिस्तानी ठिकानों पर लक्षित हमलों के जवाब में पाकिस्तान ने अपनी प्रतिक्रिया ‘रणनीतिक संयम’ और ‘ऑपरेशनल स्पष्टता’ के साथ दी. सेना के बयान के अनुसार, इस संयम ने न केवल देश की रक्षा क्षमता को सुदृढ़ किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नैतिक रूप से भी पाकिस्तान के पक्ष को मजबूत किया.

    आतंकवाद से निपटने की नीति
    बैठक में बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में सक्रिय आतंकवादी तत्वों की गतिविधियों पर गहन विचार-विमर्श हुआ. कमांडरों ने दृढ़ता से कहा कि बाहरी ताकतों द्वारा प्रेरित आतंकवाद से देश की आंतरिक शांति को कभी समझौते के दायरे में नहीं आने दिया जाएगा. उन्होंने आतंकवाद के जड़ से मिटाने के लिए संयुक्त और तेज़ कार्रवाई का संकल्प व्यक्त किया.

    दक्षिण एशिया में स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय संलग्नता

    अंत में, पाकिस्तान ने वैश्विक समुदाय से अपील की कि दक्षिण एशिया में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए तत्काल दखल और प्रभावी कूटनीतिक प्रयास किए जाएँ. साथ ही, कश्मीरियों के लिए राजनयिक, राजनीतिक, नैतिक और मानवीय समर्थन जारी रखने पर बल दिया गया. इस तरह की संयुक्त पहल से क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति सुनिश्चित हो सकती है.
     

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