Bihar News: बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मची हुई है. जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक बिसात को नए सिरे से बिछा रहे हैं. हर वर्ग को साधने की कवायद में अब उन्होंने एक बड़ा दांव खेला है. बता दें कि नीतीश सरकार ने सवर्ण जातियों के कल्याण और हितों के लिए एक विशेष आयोग का गठन किया है.
इस आयोग का गठन ऐसे समय में किया गया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा हुआ है और सियासी माहौल पूरी तरह गर्म है. इस नए आयोग का उद्देश्य सवर्ण समुदाय की सामाजिक, आर्थिक स्थिति का आकलन करना और उनकी समस्याओं के समाधान की दिशा में काम करना है.
कौन हैं आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष?
मुख्यमंत्री ने आयोग के अध्यक्ष पद पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता महाचंद्र सिंह को नियुक्त किया है, जबकि जेडीयू नेता राजीव रंजन प्रसाद को उपाध्यक्ष बनाया गया है. इससे यह संकेत भी साफ मिल रहा है कि जेडीयू और बीजेपी भले ही वैचारिक तौर पर अलग हों, लेकिन चुनावी रणनीति में एकजुटता कायम रखने की कोशिश जारी है.
क्यों महत्वपूर्ण है यह फैसला?
यह पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार ने सवर्ण आयोग बनाने का फैसला लिया है. वर्ष 2011 में भी ऐसा प्रयास किया गया था, लेकिन आयोग ज्यादा समय तक सक्रिय नहीं रह सका. इस बार फिर चुनावी मौसम में यह पहल एक रणनीतिक कदम के रूप में देखी जा रही है, जिसका मकसद सवर्ण वोट बैंक को साधना है.
आयोग का कार्य क्या होगा?
यह आयोग सवर्ण समुदाय के सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर फोकस करेगा, उनके सुझाव सरकार तक पहुंचाएगा और कल्याणकारी योजनाओं का खाका तैयार करेगा. यह फैसला ऐसे समय लिया गया है जब राजनीतिक दल अपने-अपने समीकरण बनाने में जुटे हैं और वोट बैंक को लुभाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं.
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