Netanyahu Trump Meet: इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पुष्टि की है कि वह इस महीने के अंत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे. यह बैठक गाजा में भविष्य की राजनीतिक व्यवस्था और हमास के शासन को समाप्त करने से जुड़े निर्णायक कदमों पर केंद्रित होगी. जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेतन्याहू ने कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा तैयार किया गया गाजा प्लान अपने दूसरे चरण की ओर बढ़ रहा है और इस पर गहन बातचीत जल्द शुरू होगी.
दो वर्षों से जारी गाजा संघर्ष को खत्म करने के लिए अमेरिका और इज़राइल के बीच एक बहु-स्तरीय योजना पर काम हो रहा है. इस योजना में बंधकों की रिहाई, गाजा में एक अस्थायी तकनीकी फिलिस्तीनी प्रशासन की स्थापना, और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र के तहत ‘बोर्ड ऑफ पीस’ का गठन शामिल है. नेतन्याहू का कहना है कि पहला चरण लगभग पूरा हो चुका है और दूसरा चरण शुरू होने के बेहद करीब है.
युद्धविराम के बाद का हालात
10 अक्टूबर से लागू युद्धविराम के बाद गाजा में हिंसा कम हुई है, लेकिन शांतिपूर्ण स्थिति पूरी तरह नहीं बन पाई है. अब तक हमास 20 जिंदा इज़राइली बंधकों और 27 शवों को इज़राइल को सौंप चुका है. इनके बदले में लगभग 2,000 फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई हुई है. एक बंधक का शव अभी भी गाजा में होने की जानकारी है.
वेस्ट बैंक में बढ़ती अशांति
गाजा में तनाव कम होने के बावजूद वेस्ट बैंक में हिंसा लगातार बढ़ रही है. शनिवार को हेब्रोन के पास एक चेकपॉइंट पर इज़राइली सेना की गोलीबारी में दो फिलिस्तीनी मारे गए, एक 17 वर्षीय युवक और एक आम राहगीर, जो गोलीबारी की जद में आ गया. सेना का कहना है कि जिस कार पर गोली चलाई गई, वह तेज़ रफ्तार से चेकपॉइंट की ओर बढ़ रही थी. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस साल जनवरी से अब तक 51 फिलिस्तीनी नाबालिग इज़राइली सैन्य कार्रवाई में मारे गए हैं. वहीं फिलिस्तीनी समूहों द्वारा भी कई हमले किए गए, जिनमें इज़राइली सैनिकों और नागरिकों को निशाना बनाया गया.
आगामी मुलाकात का महत्व
ट्रंप और नेतन्याहू की यह मुलाकात मध्य पूर्व की भविष्य की दिशा तय करने में निर्णायक साबित हो सकती है. बातचीत का मुख्य फोकस गाजा में स्थायी संरचना, सुरक्षा ढांचा, अंतरराष्ट्रीय साझेदारी और क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति की रूपरेखा होगा. हिंसा से जूझ रहे गाजा और वेस्ट बैंक की मौजूदा परिस्थितियों के बीच यह बैठक कूटनीतिक दृष्टि से बेहद अहम मानी जा रही है.
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