Kalibr-PL Missile: भारत की समुद्री ताकत आने वाले वर्षों में एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ सकती है. रूस ने भारतीय नौसेना को अपनी लंबी दूरी वाली Kalibr-PL (3M-14E Club-S) सबमरीन-लॉन्च क्रूज मिसाइल का आधिकारिक प्रस्ताव दिया है.
यह वही मिसाइल है जिसे गुप्त और घातक स्ट्राइक क्षमता के लिए जाना जाता है. इसकी अनुमानित रेंज करीब 1500 किलोमीटर है, जो भारत की मौजूदा सबमरीन मिसाइल क्षमताओं से कई गुना अधिक मानी जा रही है. अगर यह सिस्टम शामिल होता है, तो भारतीय पनडुब्बियां बिना सतह पर आए दुश्मन के अंदरूनी इलाकों में गहरे सैन्य ठिकानों को बड़ी सटीकता से निशाना बना सकेंगी.
Kalibr-PL क्या बनाती है इसे “साइलेंट स्ट्राइक” का हथियार?
Kalibr-PL एक ऐसी मिसाइल है जिसे पानी के भीतर से दागा जाता है और लॉन्च होते ही वह बेहद कम ऊँचाई पर उड़ते हुए अपना रास्ता चुनती है. कम ऊँचाई पर उड़ने के कारण वह सामान्य रडार सिस्टम से बच निकलती है और लक्ष्य के पास पहुँचकर तेज गति से हमला करती है. यह प्रोफ़ाइल उसे दुनिया की उन्नततम सबमरीन-लॉन्च क्रूज मिसाइलों में शामिल करती है.
मुख्य क्षमताएँ और तकनीकी विशेषताएं
Kalibr-PL की सबसे बड़ी ताकत इसकी रेंज है, जो भारतीय समुद्री रणनीति को नए स्तर पर ले जा सकती है. इसकी मारक क्षमता लगभग 1500 किलोमीटर तक मानी जाती है. यह 533 मिमी टॉरपीडो ट्यूब से दागी जा सकती है, यानी भारत की Kilo-class और Scorpene-class पनडुब्बियां इसे बिना बड़े बदलाव के इस्तेमाल कर सकती हैं.
इसमें आधुनिक नेविगेशन और GPS-आधारित गाइडेंस सिस्टम लगाया गया है जो लक्ष्य पर बेहद सटीक प्रहार सुनिश्चित करता है. मिसाइल दुश्मन के एयरबेस, कमांड सेंटर, ऊर्जा ढांचे, बंदरगाहों और महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम है. रडार-चोरी प्रोफ़ाइल और कम-ऊँचाई वाली उड़ान इसे इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल बनाती है.
भारत के लिए यह प्रस्ताव क्यों महत्वपूर्ण है?
रूस का यह प्रस्ताव उस समय आया है जब भारतीय नौसेना अपने बेड़े को तेज़ी से आधुनिक बनाने की दिशा में बढ़ रही है. वर्तमान में भारतीय पनडुब्बियां Club-S सिस्टम के सीमित-दूरी वाले संस्करण का उपयोग करती हैं. Kalibr-PL जैसे हथियार के जुड़ने से भारत की सबमरीन स्ट्राइक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी.
इसके आने से अरब सागर से पाकिस्तान के महत्वपूर्ण ठिकाने कवरेज में आएंगे. अंडमान-निकोबार से चीन के रणनीतिक बेस संभावित लक्ष्य बन सकेंगे. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक पकड़ और मजबूत हो जाएगी. सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि यह क्षमता भारत को “लॉन्ग-रेंज सबमरीन-बेस्ड डिटरेंस” प्रदान करेगी, जो किसी भी समुद्री शक्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है.
भारत की अपनी SLCM कब तक तैयार होगी?
भारत अपनी स्वदेशी सबमरीन-लॉन्च्ड क्रूज मिसाइल (SLCM) पर काम कर रहा है. लेकिन DRDO की यह प्रणाली पूरी तरह ऑपरेशनल होने में 4 से 6 साल लग सकते हैं. जब तक स्वदेशी मिसाइल तैयार नहीं होती, तब तक Kalibr-PL भारत के लिए एक महत्वपूर्ण ‘ब्रिज कैपेबिलिटी’ बन सकती है. यह अंतरिम समाधान भारत की रणनीतिक ज़रूरतों को पूरा कर सकता है.
क्या MTCR में कोई बाधा है?
भारत MTCR (Missile Technology Control Regime) का सदस्य है. इस व्यवस्था के तहत 300 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली मिसाइलें सदस्य देशों के बीच ट्रांसफर की जा सकती हैं. इसी कारण रूस ने 1500 किलोमीटर रेंज वाला Kalibr-PL संस्करण भारत को पेश किया है.
क्या भारत इस डील को मंजूरी देगा?
अभी सरकार ने अंतिम निर्णय नहीं लिया है, लेकिन यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब भारत Project-75I के तहत नए पनडुब्बियों के निर्माण को आगे बढ़ा रहा है. कई Kilo-class पनडुब्बियां 2030 के बाद रिटायर होने वाली हैं. हिंद-प्रशांत में भारत एक बड़े समुद्री शक्ति के रूप में उभर रहा है.
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि लंबी दूरी वाली सबमरीन-लॉन्च्ड क्षमताओं की जरूरत को देखते हुए भारत इस प्रस्ताव का गंभीरता से मूल्यांकन कर रहा है. यदि यह मिसाइल शामिल होती है, तो भारतीय नौसेना की गुप्त स्ट्राइक क्षमता एक नए चरण में प्रवेश करेगी.