MP News: मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है. मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में राज्य के 35 लाख किसानों का 84.17 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने का फैसला लिया गया है. यह कर्ज कृषि सिंचाई जल कर के तहत लिया गया था, जो अब किसानों के लिए एक बोझ नहीं रहेगा. अब उन्हें केवल मूलधन की राशि ही चुकानी होगी. यह पहल किसानों के लिए एक राहत भरी खबर साबित हो रही है, क्योंकि लंबे समय से कृषि सिंचाई जल कर के तहत ब्याज और पेनल्टी का दबाव था.
सरकार ने लिया ऐतिहासिक फैसला
मध्य प्रदेश सरकार ने सिंचाई जल कर के मामले में किसानों को राहत देने का ऐतिहासिक कदम उठाया है. मुख्यमंत्री मोहन यादव के मुताबिक, 35 लाख किसानों पर 84.17 करोड़ रुपये का कर्ज था, जो अब पूरी तरह से माफ किया जाएगा. इस कर्ज में किसानों से सिंचाई जलकर का ब्याज और पेनल्टी भी लिया जाता था, जिसे अब माफ कर दिया गया है. इससे किसानों पर कर्ज का बोझ कम होगा और वे अपनी खेती में और अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे.
2026 तक मिलेगी राहत
यह योजना 2026 तक लागू रहेगी, जिसका मतलब है कि किसानों को एक साल का समय मिलेगा अपने मूलधन की राशि जमा करने के लिए. इस दौरान वे सिर्फ मूल रकम जमा करेंगे, और उन पर पहले से बकाया ब्याज को माफ कर दिया जाएगा. यह योजना किसानों को अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने का एक बेहतरीन मौका देगी.
क्यों जरूरी था यह कदम?
सिंचाई जल कर के तहत किसानों को बैंकों से लोन मिलता है, जिसका उपयोग वे अपने खेतों में सिंचाई की व्यवस्था करने के लिए करते हैं. लेकिन जब समय पर सिंचाई कर की राशि नहीं चुकाई जाती, तो ब्याज बढ़ता जाता था, जिससे किसानों के लिए कर्ज का भुगतान करना मुश्किल हो जाता था. इस फैसले से किसानों को ब्याज और पेनल्टी से राहत मिलेगी और वे सिर्फ मूलधन की राशि चुकाकर अपने कर्ज से मुक्त हो सकेंगे.
किसानों को मिलेगा सीधा फायदा
मध्य प्रदेश में कृषि सिंचाई जल कर के तहत कई किसानों ने लंबे समय से ब्याज नहीं चुकाया था, जिससे उनका कर्ज बढ़ता जा रहा था. अब सरकार के इस कदम से किसानों को सीधे लाभ होगा. मूल रकम के अलावा, उन्हें कोई अतिरिक्त शुल्क या ब्याज नहीं देना होगा. इससे 35 लाख किसानों के लिए राहत का कारण बनेगा, खासकर उन किसानों के लिए जिनका कर्ज पहले ब्याज के कारण बढ़ चुका था.
यह योजना प्रदेश के लगभग सभी जिलों के किसानों के लिए लागू होगी, जिनके पास कृषि सिंचाई जल कर का कर्ज बकाया था. विशेष रूप से छोटे और मध्यम किसान, जिनके पास सीमित संसाधन थे, उनके लिए यह फैसला अत्यंत महत्वपूर्ण है. सरकार के इस कदम से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि इससे उनकी खेती की क्षमता भी बेहतर होगी, क्योंकि वे अधिक ध्यान अपने कृषि कार्यों पर लगा पाएंगे.
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