दुनिया की सबसे रहस्यमयी और ताकतवर खुफिया एजेंसियों में से एक, मोसाद एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार मामला सीधे तुर्की से जुड़ा है, जहां इजराइली खुफिया एजेंसी के लिए काम करने वाले 20 जासूसों को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. तुर्की के अभियोजकों ने इन पर गंभीर आरोप लगाए हैं और इनके खिलाफ 10 से 24 साल तक की सजा की मांग की है.
जांच में हुआ बड़ा खुलासा
इन जासूसों पर आरोप है कि वे तुर्की में रह रहे फिलिस्तीनी नागरिकों और विशेष रूप से हमास से जुड़े लोगों की जासूसी कर रहे थे. इन्होंने उन लोगों की निजी जानकारियां, दस्तावेज और तस्वीरें हासिल कर उन्हें सीधे इजराइल के ऑनलाइन खुफिया संचालन केंद्र (ISOM) तक पहुंचाया. यह मामला अब इस्तांबुल के 26वें उच्च आपराधिक न्यायालय में सुनवाई के लिए चल रहा है.
तुर्की की सुरक्षा एजेंसियों में मची खलबली
तुर्की लंबे समय से फिलिस्तीन का समर्थन करता रहा है, ऐसे में इस तरह की जासूसी गतिविधियां उसके लिए गहरी चिंता का विषय हैं. यह खुलासा तुर्की-इजराइल संबंधों पर भी असर डाल सकता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते हैं और इजराइली तेल व गैस की आपूर्ति तुर्की के रास्ते से होती है.
आर्थिक लेनदेन का भी पता चला
मुकदमे में पेश साक्ष्यों के अनुसार, इन जासूसों को भुगतान हवाला सिस्टम, क्रिप्टोकरेंसी, और वेस्टर्न यूनियन के ज़रिए किया गया — जो आमतौर पर उन चैनलों में गिना जाता है जिनका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में होता है. इससे मोसाद के नेटवर्क की कार्यप्रणाली और गहराई का अंदाज़ा लगाया जा सकता है.
राजनीतिक असर और सवाल
कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना राष्ट्रपति एर्दोआन के लिए एक चेतावनी है. आलोचकों का कहना है कि इजराइल के साथ संबंधों के बावजूद, मोसाद ने तुर्की को भी नहीं छोड़ा और यहां भी अपना जाल फैला दिया. यह मामला आने वाले समय में तुर्की की विदेश नीति, खासकर फिलिस्तीन और इजराइल को लेकर उसके रुख पर असर डाल सकता है.
ये भी पढ़ेंः ईरान में जासूसी के आरोपों पर फांसी का सिलसिला तेज, हर दिन मोसाद के 5 जासूसों को सजा-ए-मौत